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प्रयागराज में जल प्रलय से 7 हजार बेघर, हर साल बाढ़ और प्राकृतिक आपदाएं तो सिर्फ चेतावनी हैं

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हिमा अग्रवाल

प्रयागराज , मंगलवार, 5 अगस्त 2025 (21:22 IST)
flood in prayagraj: प्रयागराज की पावन धरती, जहां गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है, वहीं संगमनगरी आज बाढ़ की चपेट में है। जहां जनवरी माह में भव्य महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं का महासागर उमड़ा था, आज वहां जल के विकराल रूप का भयावह सन्नाटा फैला हुआ है। ड्रोन कैमरे से ली गईं तस्वीरों में पूरे इलाके में चारों तरफ फैला जलसैलाब और उसकी भयावहता साफतौर पर नजर आ रही है। जिसे देखकर कहा जा सकता है कि यह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि भविष्य के प्रति सजग होने की एक चेतावनी है।ALSO READ: Prayagraj : नवजात को हाथों में उठाकर निकले माता-पिता, कलेजा चीरकर रख देगा प्रयागराज का यह वीडियो
 
जलराशि समुद्र जैसी प्रतीत हो रही : संगम क्षेत्र के मठ, मंदिर, आश्रम, झोपड़ियां, दुकानें और आरती स्थल पानी में डूब गए हैं। स्थिति इतनी भयावह है कि जलराशि समुद्र जैसी प्रतीत हो रही है। प्रयागराज के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को मिलाकर कुल 108 स्थानों पर बाढ़ का पानी घुस चुका है जिससे जनजीवन पूरी तरह चरमरा गया है। अब तक प्रशासन ने 7,000 से अधिक लोगों को रेस्क्यू करते हुए राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। दिन-रात एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें बाढ़ में फंसे लोगों को राहत और बचाव कार्यों में तल्लीनता के साथ जुटी हुई हैं। जिला प्रशासन अपनी अहम भूमिका निभाते हुए राहत शिविर, बचाव दल, निगरानी और सतर्कता बरते हुए है।ALSO READ: प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर, 60 बस्तियों में भरा पानी
 
आपदाओं का शिकार हर साल हम क्यों हो रहे हैं? : लेकिन महत्वपूर्ण प्रश्न है कि इन आपदाओं का शिकार हर साल हम क्यों हो रहे हैं? यह सिर्फ बारिश का कहर है या हमारी योजनाओं, नीतियों और नदियों के साथ किए गए खिलवाड़ का नतीजा? इंसान ने प्रकृति को भी नहीं बख्शा है। नदी के किनारों पर अवैध निर्माण, अतिक्रमण, जल निकासी की व्यवस्था पर कुठाराघात और पारंपरिक जलचक्र से खिलवाड़ किया जा रहा है। संगमनगरी के जिम्मेदार तंत्र को सोचना होगा कि कुंभ जैसे आयोजनों के बाद उस क्षेत्र को संभालने के लिए ठोस रणनीति बनाई जाए। धरातल पर दीर्घकालिक योजनाएं हों, न कि कागजों पर?ALSO READ: UP : प्रयागराज में बाढ़ का कहर, मंत्री नंदी ने किया प्रभावित क्षेत्रों का दौरा

कल कोई और शहर डूबेगा : चिंता का विषय यह है कि आज प्रयागराज डूब रहा है, कल कोई और शहर डूबेगा। जब प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन होगा, उसका असर जलवायु परिवर्तन, बेतरतीब शहरीकरण और प्रशासनिक अनदेखी पर स्पष्ट दिखाई देगा। जब बाढ़ आती है तो वह सिर्फ पानी नहीं लाती बल्कि प्रश्नों की एक लंबी फेरहिस्त लाती है। बाढ़ के सवालों से मुंह मोड़ना अब विकल्प नहीं रहा। अब समय है नदियों को सम्मान देने का, सजग होने, जागने का और बदलाव की दिशा में गंभीर चिंतन का ताकि नदियां अपना रौद्र रूप छोड़कर कलकल करके बहती रहें।
 
Edited by: Ravindra Gupta

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