लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संपत्तियों के ध्वस्तीकरण पर शीर्ष अदालत के अंतरिम फैसले के बाद मंगलवार को कहा कि सर्वोच्च आदेश ने बुलडोजर को अपना प्रतीक बनाने वालों के लिए पहचान का संकट खड़ा कर दिया है।
यादव ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद बुलडोज़र वाली सोच का ही ध्वस्तीकरण हो गया है और पूछा कि क्या सरकार अब बुलडोजर का भी नाम बदलेगी? उच्चतम न्यायालय ने समूचे देश में प्राधिकारियों को उसकी इजाजत के बिना आपराधिक मामलों में आरोपियों की संपत्ति समेत अन्य संपत्तियों को 1 अक्टूबर तक ध्वस्त नहीं करने का मंगलवार को निर्देश दिया।
इसके बाद उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर कहा कि न्याय के सर्वोच्च आदेश ने बुलडोजर को ही नहीं बल्कि बुलडोजर का दुरुपयोग करने वालों की विध्वंसक राजनीति को भी किनारे लगा दिया है। उन्होंने शीर्ष अदालत के अंतरिम फैसला को लेकर कहा कि आज बुलडोज़र के पहिए खुल गए हैं और स्टीयरिंग हत्थे से उखड़ गया है।
दरअसल, प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में शामिल आरोपियों के घरों को प्रशासन कथित रूप से बुलडोजर का प्रयोग कर ध्वस्त करता रहा है जिस वजह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 'बुलडोजर बाबा' कहा जाने लगा। यादव ने उनका नाम लिए बिना कहा कि ये (शीर्ष अदालत का फैसला) उनके लिए पहचान का संकट है जिन्होंने बुलडोजर को अपना प्रतीक बना लिया था।
सपा प्रमुख ने कहा अब न बुलडोजर चल पाएगा, न उसको चलवाने वाले। दोनों के लिए ही पार्किंग का समय आ गया है। सपा प्रमुख ने कहा कि आज बुलडोजर वाली सोच का ही ध्वस्तीकरण हो गया है। उन्होंने पूछा कि अब क्या वो बुलडोजर का भी नाम बदलकर उसका दुरुपयोग करेंगे? दरअसल ये जनता का सवाल नहीं, एक बड़ी आशंका है।
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अगर अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला है तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है। शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें आरोप लगाया गया था कि कई राज्यों में आपराधिक मामलों में आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है। बुलडोजर मामले को लेकर मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच पहले भी जुबानी जंग हो चुकी है।
इसके पहले राज्य में सपा सरकार बनने पर बुलडोजर का रुख गोरखपुर की तरफ मोड़ने का बयान देने पर योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव पर तंज करते हुए 4 सितंबर को कहा था कि बुलडोजर चलाने के लिए 'दिल और दिमाग' की जरूरत होती है।
यादव ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि बुलडोजर में दिमाग नहीं बल्कि स्टीयरिंग होता है और उत्तरप्रदेश की जनता कब किसका स्टीयरिंग बदल दे, कुछ पता नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आदित्यनाथ और उनका बुलडोजर इतना ही सफल है तो अलग पार्टी बनाकर बुलडोजर चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ें जिससे उनका भ्रम और घमंड दोनों ही टूट जाएंगे।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta