मेरठ। Aniruddhacharya Ji in Meerut : कथावाचक अनिरुद्धाचार्यजी (Aniruddhacharya ji) ने मेरठ में मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध नहीं होना चाहिए। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं अज्ञानी है, एक देश एक कानून की व्यवस्था ही उचित है, जो लोग UCC का विरोध करते वे देश की व्यवस्था बिगड़ना चाहते हैं। वर्तमान में देश के मंदिरों में पाश्चात्य पोशाक पहनकर आने की रोक पर उन्होंने मत रखा। उन्होंने कहा कि पैंट-कमीज भारतीय पोशाक नहीं है, लेकिन लोग उसे पहनते हैं। लेकिन जो यह वस्त्र धारण कर रहे हैं वे सप्ताह के एक दिन भारतीय पोशाक धोती-कुर्ता पहन सकते हैं। सनातन धर्म का पहनावा धोती-कुर्ता है, तिलक लगाना है।
अनिरुद्धाचार्यजी ने कहा कि लव जिहाद को रोकने के लिए बच्चों में संस्कार जरूरी है, अन्यथा उसके दुष्परिणाम सामने आते रहेंगे। संस्कार देने का काम माता-पिता का है जिस तरह से जलेबी की पहचान उसके मिठास से है। लेकिन दाल के पेस्ट से जलेबी की आकृति तैयार होती है, मिठास उसमें चाशनी से आती है। उसी तरह से बच्चों के अंदर संस्कार देने का काम परिवार का है, यदि बालक संस्कारवान होगा तो वह लव जिहाद जैसे मामलों में नहीं फंसेगा।
उन्होंने धर्मांतरण मामले में कहा कि यह गलत है, हिन्दू धर्म में भी ब्राह्मण, वैश्य या अन्य जाति के लोग अपने कुल में शादी करते हैं। मुस्लिम समाज भी अपने लोगों के बीच ही रिश्ता जोड़ा जाता है। सभी धर्मों का खानपान, रिवाज अलग है, जैसे हिन्दू धर्म में गाय को पूजा जाता है, यदि दूसरे धर्म की बच्ची हिन्दुओं में आ जाती तो वह गाय का पूजन कर पाएगी, यह चिंतन का विषय है। मिलन शारीरिक नहीं बल्कि विचारों और मानसिकता का होना चाहिए। हिन्दू धर्म में धर्मांतरण का कोई सिद्धांत नहीं है।
कथावाचक अनिरुद्धाचार्यजी ने कहा कि सनातन धर्म को जानने के लिए विज्ञान को समझना होगा। हिन्दू धर्म का नाम सनातन है, जो अनादि काल से चला आ रहा है, जितनी पुरानी पृथ्वी, चन्द्रमा है, उतना पुराना सनातन धर्म है, जिस व्यक्ति को विज्ञान का ज्ञान नहीं है, वे सनातन धर्म के बारे में कभी नहीं जान सकता है। सनातन धर्म की रक्षा के लिए मोदीजी आज प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं।
वर्तमान में ज्योति मौर्य का मुद्दा छाया हुआ है, ज्योति मौर्य पर कथावाचक बोले कि सबको चरित्रवान होना चाहिए, इसके लिए राम को जानना आवश्यक है, राम के चरित्र से शिक्षा लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि धर्म की आड़ में व्यापार भी गलत है, संत समाज को दिशा दे रहा है यह एक अलग धारा है जबकि व्यापार एक अलग धारा है।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने गीता प्रेस को मंदिर कहा है यह खुशी की बात है। देश में रामराज्य पुन:स्थापित करने के लिए बड़े लोग कदम उठा रहे हैं, जो सराहनीय है।
बेवदुनिया से बात करते हुए अनिरुद्धाचार्यजी ने कहा कि पत्नी के परिवार की तरफ बेटे का जाना आज का कलयुग है, जिसके चलते सब कुछ उल्टा हो रहा है, इसलिए बेटे-बेटियों को संस्कार दें। युवा पीढ़ी को रामचरित मानस और रामायण पढ़ाएं, सत्संग सुनें समाज को दिशा मिलेगी।
माथे पर रंग-बिरंगे तिलक को श्रीमन्नारायण और लक्ष्मी का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि लंबी दो सफेद रेखा श्रीमन्नारायण का प्रतीक है, नाक की तरफ नीचे सफेद रेखा आसन है और बीच में लाल रंग की रेखा लक्ष्मी जी का प्रतीक है। पीले रंग भगवान का चंदन तिलक है, जो श्रीमन्नारायण और लक्ष्मीजी का प्रसाद है।
मेरठ में आज अनिरुद्धाचार्यजी के तीसरे दिन की कथा सुनाई गई, जब से वे मेरठ पधारे हैं उनका कथावाचन रिमझिम बारिश के बीच चल रहा है। उन्होंने मेरठ को धार्मिक शहर बताया और कहा कि इसका प्राचीन नाम हस्तिनापुर रहा है, श्रीकृष्णजी का इस शहर से गहरा नाता है। भागवत का सबसे पहले श्रवण करते वाले परीक्षित भी मेरठ से हैं। Edited By : Sudhir Sharma