अयोध्या जनपद की मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र हमेशा ही भाजपा के संघर्षपूर्ण सीट रही है। 1967 में अस्तित्व में आई मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में अब तक केवल 3 बार ही भाजपा को जीत हासिल हो पाई है। भाजपा के लिए हमेशा यह चुनावी क्षेत्र चुनौतीपूर्ण ही रहा है। भाजपा को इस क्षेत्र से सबसे पहली सफलता 1969 में भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी रहे हरिनाथ तिवारी के नाम के साथ हुई लेकिन उसके बाद भाजपा के लिए मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत एक सपना-सा हो गया भाजपा को दूसरी जीत 24 वर्षों के बाद राम लहर के दवरान वर्ष 1991 में भाजपा प्रत्याशी मथुरा प्रसाद तिवारी को मिली थी।
इसके बाद तीसरी जीत के लिए भाजपा को और भी इंतजार करना पड़ा। 2017 में भाजपा के प्रत्याशी गोरखनाथ बाबा को मिली थी जिन्होंने फैज़ाबाद लोकसभा सीट से सपा के नवनिर्वचित सांसद अवधेश प्रसाद को हराया था, किंतु 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर के मतदाताओं ने सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद को विधायक चुना जिन्होंने फैज़ाबाद लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद मिल्कीपुर सीट से इस्तीफा दिया।
इसके लिए यहां उप चुनाव होने जा रहा है। समाजवादी पार्टी ने सांसद अवधेश प्रसाद के पुत्र अजीत प्रसाद को टिकट दिया है तो भाजपा ने दो बार से जिला पंचायत सदस्य रहे चंद्रभानु पासवान को प्रत्याशी बनाया है। इस चुनाव की कमान उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं अपने हाथों में ली है।
इस क्षेत्र के उपचुनाव के लिए मुख्यमंत्री योगी ने एक तेजतरार टीम बनाई है। इसका नेतृत्व स्वयं करते हुए टीम में अपनी कैबिनेट के 7 तेजतर्रार मंत्रियों को जिम्मेदारी के रूप में रखा है जो बराबर चुनावी क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं और शायद इसी आत्मविश्वास के बलबूते भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता अतिउत्साहित भी कि इस क्षेत्र में भगवा ध्वज लहराने से कोई रोक नहीं सकता।
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी अपना पूरा दमखम लगाए हैं कि दुबारा से फिर इस सीट पऱ सपा का कब्जा हासिल हो सके लेकिन इनकी स्फूर्ति व जोश में वह ताजगी नहीं दिख रही है जो कभी देखने को मिलती थी, जिससे उम्मीद को बल मिल सकता है कि भाजपा के जख्मों को भरने में मिल्कीपुर उपचुनाव कि जीत काफी मददगार साबित हो सकती है।