Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मुलायम को अंतिम विदाई : सैफई ने खोया अपना लाल, सभी बेहाल, बोले- चले गए हमार लल्ला..

हमें फॉलो करें मुलायम को अंतिम विदाई : सैफई ने खोया अपना लाल, सभी बेहाल, बोले- चले गए हमार लल्ला..

अवनीश कुमार

, मंगलवार, 11 अक्टूबर 2022 (10:54 IST)
सैफई। उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के संस्थापक व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन से जहां राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर है तो वहीं सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव के गांव में भी लोगों का हाल बेहाल है और गांव की हर गली में मातम पसरा है।
 
लोगों की आंख में आंसू है और अंतिम दर्शन के लिए लंबी-लंबी कतारों में लाइन में लग अपने नेता अंतिम दर्शन करने के लिए क्या महिलाएं, क्या बच्चे और क्या बुजुर्ग- सभी लगे हुए थे और एक ही बात कहते हुए नजर आ रहे थे- 'उनका पहलवान हारेगा नहीं... लेकिन...। महामृत्युंजय जप काल से हार गया।'
 
चले गए हमार लल्ला : सैफई गांव की गलियों में बैठीं बुजुर्ग महिलाएं व बुजुर्ग कोठी की तरफ निहारते हुए सिर्फ और सिर्फ अपने नेता के अंतिम दर्शन की आस लगाए कहते हुई नजर आ रहे थे- चले गए हमार लल्ला... चले गए हमार लल्ला... और वहीं गांव की नवविवाहिताएं, युवक, बच्चे और जवान नम आंखों से सपा संरक्षक को याद कर रहे हैं।
 
सैफई को कभी यह उम्मीद नहीं थी कि उन्हें इस गम के माहौल को भी देखना होगा। मुलायम सिंह जब-जब तबीयत खराब होने पर अस्पताल पहुंचे तो लोगों ने उनके लिए दिल से दुआएं की जिसका नतीजा यह हुआ कि वे हर बार स्वस्थ होकर वापस लौटे।
 
इस बार भी जब मुलायम मेदांता में भर्ती हुए तो सैफई के लोगों ने उनके लिए दिल से दुआएं की थीं। हवन-पूजन से लेकर दरगाह व मजारों में चादर चढ़ाने तक, व्रत रखने से लेकर महामृत्युंजय जाप तक लोगों ने आयोजित किए थे। निश्चित रूप से सैफई के लाल का जाना सैफई वालों के लिए नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के लिए दुखदायी है।

webdunia
जरा ठहरना.. सोचना फिर पूरी ताकत से लड़ना : मुलायम सिंह यादव को सैफई से बेहद लगाव था, क्योंकि उनके जीवन का सफर सैफई से ही शुरू हुआ और मंगलवार को सैफई में ही समाप्त हो जाएगा। उनके अंतिम दर्शन के लिए लाखों युवा लाइन लगाकर खड़े हैं और सभी की आंखें नम हैं।
 
इसी कतार में लगे युवा अभिनव, आकाश, रामकुमार व नरेश आंखों में आंसू लिए हुए उनकी एक बात को सोच-सोचकर भावुक हो जाते हैं और कहते हैं कि जब सैफई की सड़कों पर वे हम युवाओं को देखते थे और हमारे चेहरे की परेशानियों को बांट लेते थे तो मुस्कुराते हुए नेताजी हिम्मत बढ़ाते हुए कहते थे- 'विपत्ति से कभी न घबराना। जरा ठहरना... सोचना, फिर पूरी ताकत से लड़ना। लेकिन आज ऐसी विपत्ति है कि सीख साथ छोड़ रही है।' 
 
Edited by: Ravindra Gupta

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नेताजी को अंतिम विदाई देने उमड़ी भीड़, दोपहर 3 बजे होगा अंतिम संस्कार (Live)