Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

यूपी में कोराना महामारी के साथ अब टिड्डी कीट दल का प्रकोप, जानिए क्या है उपाय...

हमें फॉलो करें यूपी में कोराना महामारी के साथ अब टिड्डी कीट दल का प्रकोप, जानिए क्या है उपाय...
webdunia

अवनीश कुमार

, शनिवार, 30 मई 2020 (09:21 IST)
लखनऊ। कोराना महामारी से जहां प्रदेश अभी पूरी तरीके बाहर निकल भी नहीं पाया था कि अब एक नया संकट उत्तरप्रदेश में टिड्डी कीट दल के रूप में दस्तक दे चुका है। यह संकट प्रदेश के किसानों के लिए बेहद खतरनाक है जिसको लेकर उत्तरप्रदेश सरकार ने टिड्डी कीट दल का प्रकोप को रोकने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
 
टिड्डी कीट दल के प्रकोप को कैसे रोका जा सकता है? इसके लिए 'वेबदुनिया' संवाददाता ने चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. धर्मराज सिंह से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों द्वारा यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय कृषि में टिड्डी कीट दल का प्रकोप एक महामारी बीमारी की तरह एक चुनौती होगी। उन्होंने कुछ समय पहले ही भयानक कीटों के बारे में एडवाइजरी जारी की थी। जिस तरीके से जलवायु परिवर्तन हो रहा है, उसको देखते हुए टिड्डियों का आतंक उत्तरप्रदेश में भी देखने को मिलेगा।
 
वहीं उनका कहना है कि रेतीली और मरुस्थली जगह पर टिड्डियां एकसाथ लाखों अंडे जमीन के अंदर देती हैं जिससे लाखों की संख्या में टिड्डियां उत्पन्न होती हैं और ये टिड्डियां किसानों की फसल, हरे पेड़-पौधे और जहां पर वे भी बैठती हैं, उन फसलों को पूरी तरह से नष्ट कर देती हैं। लाखों की संख्या में टिड्डियों का झुंड एकसाथ इधर से उधर घूमताहै। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये किसानों की फसल के लिए कितना ज्यादा हानिकारक हो सकती हैं।
webdunia
टिड्डी दल का प्रकोप जल्दी आ गया-
 
उन्होंने बताया कि टिड्डी दल का प्रकोप प्राय: जुलाई से अक्टूबर माह में होता है, परंतु इस वर्ष में अप्रैल-मई में राजस्थान में टिड्डी दल का प्रकोप हो गया है जिससे भारी मात्रा में फसलों को नुकसान हो रहा है।
 
टिड्डी दल की उत्पत्ति पूर्वी अफ्रीका से हुई है-
 
डॉक्टर धर्मराज सिंह ने बताया कि टिड्डी कीट दल की उत्पत्ति पूर्वी अफ्रीका से हुई, जहां पर मक्का, जुवार एवं गेहूं की फसल को भारी मात्रा में हानि पहुंचाई गई है। इस वर्ष यह टिड्डी दल भारत-पाकिस्तान सीमा पर मध्य अप्रैल के महीने में देखा गया तथा पश्चिमी राजस्थान एवं गुजरात के उत्तरी भाग में दिसंबर एवं जनवरी के महीने में टिड्डी दल का प्रकोप देखा गया है।
 
1 दिन में तय करते हैं दूर 150 किलोमीटर की दूरी-
 
डॉ. सिंह ने बताया कि टिड्डी दल एक स्थान से दूसरे स्थान पर समूह में उड़ते हुए 1 दिन में लगभग 150 किलोमीटर की दूरी तय कर नए स्थानों पर पहुंच जाते हैं तथा किसानों की फसल खाकर नष्ट कर देते हैं अत: इस टिड्डी दल को नियंत्रित करना आवश्यक है। जानकारी के अनुसार उत्तरप्रदेश के झांसी एवं ललितपुर जनपद के कुछ भागों में कीट दल का प्रवेश हो गया है।
 
ध्वनि उपकरणों का रात्रि में करें प्रयोग-
 
डॉ. सिंह ने किसान भाइयों को टिड्डी दल से अपनी फसलों को बचाव के लिए सलाह एवं जानकारी देते हुए बताया कि टिड्डी कीट दल समूह में झुंड के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान पर अचानक आ जाते हैं जिसके 1 किलोमीटर क्षेत्र के झुंड में लगभग 400 लाख टिड्डियां होती हैं।
 
ये टिड्डियां एक ही समय में खड़ी फसल में रात्रि के समय तूफान की तरह झुंड में आकर बैठती हैं और सारी फसल खाकर नष्ट कर देती हैं एवं सुबह के समय पुन: दूसरे स्थान के लिए प्रस्थान कर जाती हैं। अत: इनके बचाव हेतु किसान द्वारा एकत्रित होकर ऐसी स्थिति में थाली, ढोलक, शंख, डीजे आदि की ध्वनि उत्पन्न करके इन भयानक टिड्डियों के आतंक से बचा जा सकता है।
 
घोल बनाकर करें छिड़काव-
 
डॉ. सिंह ने टिड्डी कीट को रासायनिक कीटनाशक से नियंत्रित करने के लिए बताया कि टिड्डियां खेतों में बैठ गईं तो पूरी फसल नष्ट कर देती हैं। एक कीटनाशक क्लोरपीरिफॉस बीईसी का आता है जिसे करीब 2 लीटर 4 बीघा की जमीन में 500 से 600 लीटर पानी में अटैक के बाद खेतों में इसका छिड़काव करना चाहिए और मेलाथियान 50 Ec 1.85 लीटर में लगभग 2 लीटर मेलाथियान 50 Ec का आता है, इसको भी 500 से 600 लीटर पानी में तुरंत छिड़काव करने की जरूरत पड़ती है जिससे पत्तियों जो खाने से वे मर जाती हैं। इनका छिड़काव करके इन टिड्डियों द्वारा होने वाले नुकसान से किसान अपनी फसल को बचा सकता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मोदी को टक्कर देना 6 साल बाद भी इस क़दर मुश्किल क्यों