Mayawati news : बसपा अध्यक्ष मायावती ने देश के सभी चुनाव ईवीएम के बजाय मतपत्रों से कराने की मांग करते हुए गुरुवार को कहा कि ऐसा होने पर उनकी पार्टी के अच्छे दिन वापस आयेंगे।
मायावती ने यहां संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता और विपक्ष में बैठी जातिवादी पार्टियां पर्दे के पीछे से विशेषकर दलितों एवं अन्य उपेक्षित वर्गों में से कुछ अवसरवादी तथा स्वार्थी किस्म के लोगों को अपने पक्ष में करती रही हैं और इनके जरिए अनेक संगठन और पार्टियां आदि बनवायी हैं। ये पर्टियां अपने फायदे के हिसाब से बसपा के मजबूत रहे राज्यों, विशेषकर उत्तर प्रदेश में दलितों एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के लोगों को गुमराह करके उनके मतों को बांटने में लगी है ताकि बसपा आगे नहीं बढ़ सके।
बसपा प्रमुख ने दावा किया कि विरोधी पार्टियां ऐसे अनेक और हथकंडे इस्तेमाल करा सकती हैं ताकि देश में बसपा का अस्तित्व ही ना के बराबर रह जाये। वे अपने राजनीतिक फायदे के लिए अवसरवादी संगठनों तथा पार्टियों का अस्तित्व बनाये रखने के वास्ते चुनाव में अपने मत भी स्थानांतरित कराकर उनके एकाध सांसद और विधायक जितवाकर भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, बसपा उम्मीदवारों को हराने के लिए ईवीएम में धांधली की जा रही है, ताकि दलित एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के लोगों का बसपा से मोह भंग हो जाए।
मायावती ने कहा कि ईवीएम में धांधली को लेकर अब विपक्ष की पार्टियां भी काफी कुछ बोल रही हैं। ऐसे में हमारी पार्टी समेत ज्यादातर विपक्षी पार्टियां अब यही चाहती हैं कि देश में सभी छोटे—बड़े चुनाव पहले की ही तरह मतपत्रों के जरिए ही होने चाहिए, जो वर्तमान सरकार के रहते तो संभव नहीं हो सकता लेकिन उम्मीद है कि सत्ता परिवर्तन होने के बाद यह सब संभव हो जाए।
मायावती ने विश्वास व्यक्त किया कि यदि चुनावी प्रक्रिया में फिर से मतपत्रों का इस्तेमाल किया जाये तो बसपा अपनी खोई राजनीतिक जमीन वापस पा लेगी और उसके अच्छे दिन वापस आ जाएंगे। उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को आगाह करते हुए कहा कि 'स्वार्थी और अवसरवादी' संगठनों और पार्टियों का बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर, बसपा संस्थापक कांशीराम और उनके बहुजन आंदोलन से कुछ भी लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा कि बसपा को कमजोर करने वाले सभी अवसरवादी तथा स्वार्थी संगठनों तथा पार्टियों के नेता भले ही अपने निजी लाभ के लिए सांसद, विधायक या मंत्री बन जाएं तो भी इससे इन वर्गों के लोगों का कुछ भला होने वाला नहीं है।
edited by : Nrapendra Gupta