लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के कराने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव बगैर आरक्षण के होंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरक्षण के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के तहत 5 दिसंबर को अंतिम आरक्षण नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायत के लिए घोषित किया गया था। इस बार 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका और 545 नगर पंचायतों में चुनाव कराया जाना है।
93 याचिकाएं हुई थीं दाखिल : यूपी निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 93 याचिकाएं दाखिल हुई थीं, जिनकी सुनवाई न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ में चल रही थी। सुनवाई पूरी होने के बाद 93 याचिकाओं पर एक साथ आदेश पारित करते हुए कोर्ट ने 70 पेजों का फैसला सुनाया है।
अपने फैसले में हाई कोर्ट ने सरकार द्वारा जारी ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया और ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीटें अब जनरल घोषित कर दी गई हैं। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार ओबीसी आरक्षण देने के लिए एक कमीशन बनाया जाए और तभी ओबीसी आरक्षण दिया जाए। सरकार ट्रिपल टी फॉर्मूला अपनाए, इसमें समय लग सकता है, ऐसे में अगर सरकार और निर्वाचन आयोग चाहे तो बिना ओबीसी आरक्षण ही तुरंत चुनाव करा सकता है।
जल्द ही हो सकती है चुनाव की घोषणा : हाईकोर्ट के फैसले के बाद नगर निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद निर्वाचन आयोग जल्द ही चुनाव की घोषणा कर सकता है। माना जा रहा है कि जनवरी के पहले हफ्ते में निर्वाचन आयोग चुनाव की घोषणा कर सकता है। दूसरी ओर, यूपी चुनाव के लिए भाजपा, सपा, बसपा समेत सभी राजनीति दलों ने तैयारी शुरू कर दी है।