मुजफ्फरनगर। अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे 104 भारतीयों को लेकर अमेरिका का सैन्य विमान C-17 भारत आया था। इन 104 भारतीयों में 19 महिलाएं, 6 बच्चे, 6 बच्चियां 73 पुरूष है। बेडियों में जकड़कर भारत वापस लायें गये भारतीयों की उम्र 4 से 41 वर्ष के करीब है। यह सभी भारत के कई राज्यों के रहने वाले है। वापस आने वालों में उत्तर प्रदेश राज्य के तीन लोग शामिल है, जिसमें से दो लोग मुजफ्फरनगर जिले के रहने वाले है।अमेरिका से वापस आयें देवेन्द्र ने मीडिया को बताया कि उनके हाथ-पैर में बेड़ियां डालकर भारत लाया गया है।
मुजफ्फरनगर जिले के पुरकाजी थाना क्षेत्र मारकपुर गांव में रहने वाला देवेंद्र सिंह अमेरिका सुनहरे भविष्य का सपना लेकर गया था। लेकिन अमेरिका में जाकर उसे पता चला कि वह गलत हाथों का खिलौना बन गया है। अमेरिका के माफियाओं ने गन पांइट पर लेकर बंधक बना लिया था, इन माफियाओं के चंगुल से मुक्त होने के लिए उसने 40 लाख की रकम दी, तब जाकर उसको रिहा किया गया। आश्चर्य की बात यह है कि फिरौती की रकम अमेरिका में नही ली गई बल्कि अपने देश के हरियाणा में वसूली गई है।
देवेंद्र सिंह ने खुलासा करते हुए कहा है कि अमेरिका बॉर्डर पर 15 फीट दीवार पर लोहे की सीडी लगाकर माफियाओं ने उन्हें मेक्सिको में भेज दिया था, जिसके बाद आर्मी द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। अमेरिका आर्मी ने अपनी जांच-पड़ताल करने के बाद सभी लोगों के हाथ- पैरों में जंजीर बांधकर एक प्लेन के माध्यम से अमृतसर में भेज दिया।
देवेंद्र का मीडिया से बात करते हुए कहा कि अमेरिका यात्रा बहुत बुरी रही। वह मुजफ्फरनगर से 29 नवंबर को थाईलैंड गये और वहां से वियतनाम, वियतनाम से चीन से साल्वाडोर गए थे। साल्वाडोर में दो दिन रखा गया और पैसे की डिमांड की गई। पैसा मांगने वाले माफिया ही देवेन्द्र को लेकर गया था।
माफिया की डिमांड पूरी होने के बाद भी हमें दो दिन वहीं रोक के रखा गया, जिसके बाद आर्टेमुल ले जाया गया, आर्टेमुल में भी दो दिन रखा गया। जैसे-जैसे माफिया हमें नजदीक लेते जा रहें थे उनकी पेमेंट की डिमांड बढ़ती जख रही थी। आखिर मेंं वह मेक्सिको ले गए, मैक्सिको में जो माफियाओं की बीएमआर ड्यूटी आई हुई थी फिर उन्होंने हमसे पेमेंट की डिमांड की, हरियाणा में 40 लाख रुपए कैश पेमेंट मिलते ही उन्होंने बॉर्डर पार करवा दिया।
बॉर्डर पर 15 फीट ऊंची लोहे की फेंसिंग लगी हुई थी, जिसमें एक तरफ अमेरिका की और एक तरफ मेक्सिको की थी। वहां दो बाउंड्री है जिसके बीच में होकर रास्ता है। जो वाटर पेट्रोलिंग के लिए घूमते हैं मेक्सिको से क्रॉस करना पड़ता है मेक्सिको वाली जो फेंसिंग है उन्होंने लोहे की सीढी बनाई हुई है, उसे क्रॉस करवाते हैं।
वहां डोंग करके जो बंदे होते हैं, माफिया वाले तो इधर से चढ़कर उधर जाते हैं, तो आगे बॉर्डर पेट्रोलिंग वाले अगर पास में है तो वह अपने आप आ जाएंगे लेने के लिए, अगर पेट्रोलिंग वाले नहीं है तो आप उनको 911 पर कॉल करेंगे तो वह 5 मिनट में आकर उठाकर लें जायेंगे। हालांकि आर्मी ने हमारे साथ कुछ गलत नहीं किया और बोला। बस हमें कैंप में ले जाकर जांच-पड़ताल की।
कुछ इंक्वारी जो ऑनलाइन है वह कार्रवाई, जिससे यह जांचा कि हमारा कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड तो नहीं है इंडिया में, हम वहां क्राइम करके भाग कर तो नही आयें है। वेरिफिकेशन प्रोसेस के बाद हमको एक कैंप में डाल दिया जो उनका रूम बना हुआ था। वहां बहुत ज्यादा ठंड थी, एक पतले कपड़ें में रखा गया। खाने-पीने कज लिए हल्का-फुल्का दिया, जिससे बस जीवन चल सके। वहां से हमें इंडिया के लिए डिपोर्ट किया, ऐसे निकाला गया जैसे किसी कंट्री से चोरी से निकाला जा रहा है।
भारत लाते समय हाथ-पैरों में बेड़िया डाली गई थी, 104 भारतीय 2 फरवरी को वहां से विमान के जरिए रवाना किये गए और 5 तारीख में अमृतसर छोड़ा गया। हम 104 लोग थे। अमेरिका में इंडिया के माफिया के कैंप नहीं है, माफिया तो अपने घरों में रखते हैं, जैसे 10 लोग भारत से गए है वह उन्हें अपने पास 4-5 दिन रखेंगे, उसके बाद आगे बढ़ा देते है। देवेंद्र ने बताया कि वह हाई स्कूल पास है और यह सोचकर अमेरिका गया था कि वहां पर जाकर कहीं स्टोर में काम कर लेगा। इसी के साथ लाइसेंस अप्लाई करेंगा और ड्राइविंग कर लेगा। लेकिन उसके सपने अब धोखा खाकर टूट चुके है। अब वह कभी वहां जाने की कभी सोचेगा ही नही।
Edited by: Ravindra Gupta