हरिद्वार। योग गुरु स्वामी रामदेव ने आज मंगलवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सत्ता में वापस लौटने के लिए कई नुस्खे दिए। उन्होंने कहा कि यदि ममता बनर्जी सत्ता में वापस आना चाहती हैं तो राम, कृष्ण और हिन्दू देवी-देवताओं को उसी तरह से सम्मान और गौरव दें जिस तरह वे इस्लाम को देती हैं। उन्होंने कहा कि यह देश, हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी का है और सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में राम और कृष्ण हमारी संस्कृति से जुड़े हैं। मेरा नाम रामदेव है, आचार्यजी का बालकृष्ण। हम राम और कृष्ण के संस्कारों से पुष्पित पल्लवित हुए हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर पतंजलि योग पीठ में आयोजित कार्यक्रम में स्वामी रामदेव ने 108 फुट ऊंचे तिरंगे को फहराया।
उन्होंने ध्वजारोहण के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आज देश का अन्नदाता किसान गतिरोध के रास्ते पर है और किसान किसी गतिरोध में फंस जाए, यह देश के लिए ठीक नहीं है। केंद्र सरकार से उन्होंने अपील की कि वह गतिरोध को दूर करने के लिए पहल करे और किसान भी गतिरोध को खत्म करने के लिए अपनी ओर से पहल करे।
उन्होंने कहा कि पतंजलि योगपीठ किसानों के हित के लिए पुरुषार्थ करेगा। विदेशों में पॉम ऑइल के लिए हमारा करोड़ों रुपए चला जाता है, उसके लिए पतंजलि योगपीठ कार्य करने जा रहा है जिससे ढाई लाख करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत होगी। हम दाल और खाद्यान्न तथा चीनी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो गए हैं, परंतु अभी खाद्य तेलों में हमें आत्मनिर्भर होना है।
स्वामी रामदेव ने कहा कि भारतीय संस्कृति और विरासत को जानने के लिए पतंजलि स्वामी विवेकानंद और शिवाजी और स्वामी दयानंदजी, श्रद्धानंदजी के विचारों को आगे बढ़ाएगी और अब स्वास्थ्य क्रांति के बाद पतंजलि योगपीठ शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति करने जा रही है और भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन हो गया है जिसके माध्यम से हम मॅकाले की शिक्षा पद्धति की जगह भारतीय शिक्षा पद्धति को प्रतिपादित करेंगे, साथ-साथ ही संस्कृत पढ़ाने के अलावा विदेशी भाषाओं को भी छात्रों को पढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही आधुनिक विषय भी पढ़ाए जाएंगे और लाखों विद्यालय भारतीय शिक्षा बोर्ड से जुड़े जाएंगे।
स्वयं द्वारा संचालित पतंजलि संस्थान की उपलब्धियों का बखान करते हुए बाबा ने कहा कि कोरोनाकाल में जब पूरी दुनिया के साथ आयुष मंत्रालय सोया पड़ा था, कोरोना के लिए हम आयुर्वेद में क्या सकते हैं, तब पतंजलि ने सर्वप्रथम तुलसी, अश्वगंधा व गिलोय के गुणों पर अनुसंधान कर बताया था कि अश्वगंधा में कोरोना को परास्त करने के दिव्य गुण हैं। लोगों ने उपहास करने का प्रयास किया, कोरोनिल को निषेध करने का प्रयास किया। उसके बाद भी हम लगे रहे और पूरी दुनिया को योग और आयुर्वेद को मानना पड़ा। यह भी मानना पड़ा कि योग और आयुर्वेद का उद्गम पतंजलि योगपीठ ही है।