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बदायूं कांड: महिला के शव के पोस्टमार्टम के दौरान नहीं कराई गई वीडियोग्राफी

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, सोमवार, 11 जनवरी 2021 (16:36 IST)
बदायूं (उप्र)। बदायूं के उघैती थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से कथित सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले की जांच में पुलिस पर लग रहे लापरवाही के आरोपों के बीच पता चला है कि स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने महिला के शव की पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी नहीं कराई है।
बदायूं के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. यशपाल सिंह ने इस संदर्भ में पूछे जाने पर कहा कि प्रशासन ने वीडियोग्राफी कराने के कोई भी निर्देश नहीं दिए थे, इसलिए शव की पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी नहीं कराई गई। डॉ. सिंह ने कहा कि यदि प्रशासन उन्हें निर्देश देता, तो वह अवश्य ही पोस्‍टमार्टम की वीडियोग्राफी कराते। महिला के शव का पोस्टमार्टम मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा गठित 3 डॉक्टरों के पैनल ने किया था।
 
जानकारों का कहना है कि महिलाओं से बलात्कार अथवा अन्य संदिग्ध मामलों में पैनल द्वारा की जाने वाली पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाती है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर विशेषज्ञ पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी देखकर अपनी राय दे सकें।
फौजदारी मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार शर्मा ने कहा कि दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सीय जांच अथवा पोस्टमार्टम करने के संबंध में केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए थे जिनमें कहा गया है कि ऐसे मामलों में पीड़िता/मृतक की चिकित्सीय जांच 3 डॉक्टरों के पैनल से कराई जाएगी जिसमें एक महिला चिकित्सक का होना अनिवार्य है तथा पूरी पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी अनिवार्य रूप से कराई जाएगी।
 
उल्‍लेखनीय है कि 3 जनवरी को उघैती थाना क्षेत्र के एक गांव में मंदिर गई 50 वर्षीय एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। परिजनों ने मंदिर के महंत सत्य नारायण और उसके दो साथियों पर बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया है जिसके आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया था।
 
शव का पंचनामा भरने, मुकदमा दर्ज करने एवं पोस्टमार्टम कराने में अत्यधिक देरी की गई। इस मामले में तत्‍कालीन थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है। राष्‍ट्रीय महिला आयोग की सदस्‍य चंद्रमुखी ने इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए थे। (भाषा)

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