Gyanvapi Masjid: वाराणसी जिला अदालत द्वारा हिन्दू समुदाय (Hindu community) को ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने (Vyasji located) में पूजा का अधिकार दिए जाने के चंद घंटों बाद बुधवार देर रात तहखाने को खोलकर उसमें पूजा की गई। समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पर तंज करते हुए इसे नियत प्रक्रिया से परे गतिविधि करार दिया है।
काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेन्द्र पांडेय ने वाराणसी (यूपी) में बताया कि रात करीब 10.30 बजे 31 साल बाद व्यासजी का तहखाना पूजा-पाठ के लिए खोला गया और उसकी साफ-सफाई कराई गई। इस सवाल पर कि क्या तहखाने में पूजा शुरू हो गई है? उन्होंने कहा कि हां।
लक्ष्मी-गणेश की आरती की गई : पांडेय ने कहा कि जैसा कि न्यायालय का आदेश था, उसका पालन करना भी जरूरी था तो जिला प्रशासन ने बड़ी मुस्तैदी के साथ सारी व्यवस्था कर दी है। मुझे लगता है कि और जो भी कमी रह गई है, उसे धीरे-धीरे पूरा कर लिया जाएगा। इस सवाल पर कि आज तहखाने के अंदर क्या हुआ? जिलाधिकारी एस. राजालिंगम ने बातचीत में कहा कि मैंने अदालत का जो आदेश है, उसका अनुपालन किया है। कुछ स्थानीय लोगों का दावा है कि साफ-सफाई के बाद तहखाने में लक्ष्मी-गणेश की आरती की गई।
जिला प्रशासन के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इससे पहले रात करीब 9.30 बजे काशी-विश्वनाथ ट्रस्ट के सदस्यों को बुलाकर नंदी महाराज के सामने लगी बैरिकेडिंग को हटाकर रास्ता खोला गया। यह तहखाना ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर स्थित है।
अखिलेश यादव ने किया तंज : सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पर तंज करते हुए इसे नियत प्रक्रिया से परे गतिविधि करार दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर गुरुवार को कहा कि किसी भी अदालती आदेश का पालन करते समय उचित प्रक्रिया को बनाए रखना होगा। वाराणसी की अदालत ने इसके लिए 7 दिन की अवधि तय की थी। अब हम जो देख रहे हैं, वह नियत प्रक्रिया से परे जाने और किसी भी कानूनी सहारे को रोकने का एक ठोस प्रयास है।
वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यासजी के तहखाने में हिन्दुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दे दिया। मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है। हिन्दू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव के मुताबिक जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यासजी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है।
उन्होंने दावा किया कि इस तहखाने में वर्ष 1993 तक पूजा-अर्चना होती थी मगर उसी साल तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने इसे बंद करा दिया था। वकील मोहन यादव ने बताया कि जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में जिलाधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा है कि वादी शैलेन्द्र व्यास तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा तय किए गए पुजारी से व्यासजी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा और राग-भोग कराए जाने की व्यवस्था 7 दिन के भीतर कराएं।
यादव ने बताया कि पूजा कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा और ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने के समक्ष बैठे नंदी महाराज के सामने लगी बैरीकेडिंग को हटाकर रास्ता खोला जाएगा। मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत के इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने कहा कि आज जिला न्यायाधीश ने हिन्दुओं को पूजा करने का अधिकार देकर अपना अंतिम फैसला दे दिया है। अब हम इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta