लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बयान जारी करते हुए कहा है कि लोकतंत्र में जनता की आवाज उठाना भाजपा सरकार को गंवारा नहीं। उसे इसमें अपना सिंहासन डोलने का खतरा लगने लगता है।
लोकतांत्रिक मर्यादाओं और मान्यताओं की तिलांजलि दी जा रही है। विपक्ष से तो क्या मुख्यमंत्रीजी को अपने विधायक से भी डर लगने लगा है? आखिर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने से परहेज क्यों? इसमें विधायक कोरोना संकट के समाधान के बारे में चर्चा की जाती, जिससे सरकार को मदद मिलती।
चंद अधिकारियों के बूते इस भयंकर समस्या का सामना नहीं किया जा सकता है। मुख्यमंत्री जितने दावे करें, कोरोना संक्रमण के हालात सुधर नहीं रहे हैं।
आगरा-कानपुर-लखनऊ के बाद मेरठ में लगभग पांच दर्जन लोगों का कोरोना संक्रमित होना भयावह स्थिति की ओर इशारा करता है।
विदेशों से लोगों को जहाजों से फ्री में लाया जा रहा है जबकि भाजपा राज में हकीकत कुछ और ही दास्तां बयां कर रही है। श्रमिक दिखा रहे हैं कि टिकट लेने पर ही उन्हें रेल यात्रा की सुविधा मिली है।अब झूठ छुपाने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाए जा रहे हैं।