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दांव पर है कलराज और रीता की प्रतिष्ठा

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लखनऊ , मंगलवार, 31 जनवरी 2012 (10:26 IST)
उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ की चुनावी तस्वीर धीरे-धीरे साफ होने लगी है। यहां भारतीय जनता पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर वोटरों की सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रही है। अन्य दलों के उम्मीदवार भी अपने-अपने वादों के साथ वोटरों के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश में लगे हैं।

राजधानी में विधानसभा की 9 सीटों के बावजूद सबकी नजर कलराज मिश्र और रीता बहुगुणा जोशी की सीटों पर ही है। क्योंकि, दोनों नेताओं को प्रतिद्वंद्वियों के अलावा पार्टी में अपने विरोधियों से भी जूझना पड़ रहा है।

लखनऊ में विधानसभा की 9 सीटें हैं। लेकिन, लखनऊ (पूर्व) और कैंट सीट से भाजपा और कांग्रेस के दो दिग्गज मैदान में हैं। लखनऊ (पूर्व) से भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद कलराज मिश्र चुनाव मैदान में हैं। उधर, कैंट से कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

सांसद लालजी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन के लखनऊ (उत्तर) सीट से चुनाव मैदान में उतरने के कारण यहां मुकाबला रोचक हो गया है। लालजी टंडन अपने बेटे को जिताने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।

लखनऊ (कैंट) विधानसभा सीट से कानपुर रोड, एलडीए कॉलोनी और आशियाना इलाके के अलग हो जाने से भी मुकाबले में रोचकता आ गई है। यहां से भाजपा उम्मीदवार सुरेश तिवारी को वोटरों की नाराजी दूर करने में पसीना आ रहा है।

लखनऊ (मध्य) सीट से भाजपा उम्मीदवार और निवर्तमान विधायक विद्यासागर गुप्त को भी अपने लोगों की मान-मनोव्वल करना पड़ रही है। (नईदुनिया)

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