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यूपी में 'मीठी' राजनीति करने में जुटे गडकरी

मनोज वर्मा

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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी उत्तरप्रदेश में चीनी की राजनीति कर रहे हैं। गडकरी महाराष्ट्र की तर्ज पर उत्तरप्रदेश में गन्ने की खेती को कैश क्रॉप के रूप में पेश कर भाजपा के लिए पूर्वी उत्तरप्रदेश में राजनीति कर नई जमीन तैयार करने में लगे हैं।

भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में गडकरी के गृह राज्य महाराष्ट्र में गन्ने के कारोबार को खास जगह दी गई है। गडकरी चाहते हैं कि उत्तरप्रदेश की गन्ना मीलें चीनी का उत्पादन ही नहीं, बल्कि बिजली और इथेनॉल पेट्रोल का भी उत्पादन करें।

गडकरी का दावा है कि उत्तरप्रदेश की चीनी मिलों में लगभग छह हजार मेगावाट बिजली उत्पादन करने की क्षमता है। महाराष्ट्र खासकर नागपुर, भंडरा-गोंदिया जैसे क्षेत्रों में हाल ही में गडकरी ने बंद पड़ी कई चीनों मिलों को खरीदकर महाराष्ट्र की 'चीनी राजनीति' में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री शरद पवार के दबदबे को तोड़ने की कोशिश की है।

गडकरी चीनी मिलों के बल पर उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए गन्ना राजनीति को फायदेमंद बना रहे हैं। पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़े क्षेत्र में गन्ने की खेती की जाती है।

गडकरी ने गन्ना किसानों और बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर एनसीपी के गढ़ को भेदने का जो ऑपरेशन शुरू किया था उसका प्रयोग उत्तर प्रदेश में भी करने में लगे हैं। गडकरी ने नागपुर के आसपास के क्षेत्रों में बंद पड़ी चीनी मिलें खरीदी हैं। ये चीनी मीलें पूर्ति समूह ने खरीदी हैं, जिसके सर्वेसर्वा गडकरी हैं।

सहकारी स्तर पर चल रही यह संस्था 'ग्राम विकास से राष्ट्र विकास' के मूल मंत्र को लेकर ग्रामीण क्षेत्र में किसानों को आर्थिक स्वावलंबी और ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या के निदान में लगी है।

गडकरी कहते हैं कि चीनी में नुकसान है, पर गन्ने की खोई से बिजली बनाने में फायदा भी है। विदर्भ में बिजली संकट का रास्ता भी हम इसी से ढूंढ रहे हैं। चीनी का कारोबार उत्तर प्रदेश और किसानों के विकास की तस्वीर बदल सकता है।

उन्होंने कहा कि गन्ने के जरिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन और गरीबी को दूर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादकता औसत केवल 25 टन प्रति एकड़ है, जबकि महाराष्ट्र कई क्षेत्रों में यह औसत सौ से सवा सौ टन प्रति एकड़ हैं। इसे चौगुना बढ़ाया जा सकता है। जिससे प्रदेश के किसानों की आय प्रतिवर्ष आठ हजार से दस हजार करोड़ रुपए तक बढ़ सकती है।

गन्ना मिलों में तैयार होने वाली मोलासेस से इथेनॉल उत्पादन की नीति बनाई जाएगी। इथेनॉल पेट्रोल में मिलाया जाएगा, जैसा ब्राजील में हो रहा है। गन्ने को लेकर गडकरी की भाजपा ने उत्तरप्रदेश में करीब एक दर्जन सुझाव किसानों के सामने रखे हैं। (भाषा)

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