करीब सालभर पहले ही उसको एक बड़ी कंपनी में जॉब मिल गई। एक दिन अचानक रवि भी उसी कंपनी में जॉब अप्लाय करने के लिए वहाँ पहुँचा। रवि को देखकर रिसेप्शन पर बैठी स्नेहा को मन-ही-मन कुछ महसूस हुआ। बड़े होने के साथ-साथ दोनों की शक्ल-सूरत में काफी अंतर आ गया था। लेकिन कहते हैं न कि मन के किसी कोने में छूटी कोई आहट कभी अचानक चौंक जाती है। स्नेहा के साथ भी वैसा ही हुआ।
रवि को देखकर उसे लगा शायद उसने कहीं रवि को देखा है। लेकिन कहाँ? वह याद नहीं कर पाई। दो दिन बाद फिर कॉल करके रवि को इंटरव्यू देने के लिए बुलाया गया। जब स्नेहा ने फोन पर रवि की आवाज सुनी तो वह उसे जानी-पहचानी सी लगी। वह अपने पुराने विचारों में खो गई।
तभी उधर से रवि ने पूछा- मैडम मुझे कब आना है? स्नेहा ने जवाब दिया- जी कल सुबह 10 बजे। उस दिन संयोगवश वेलेंटाइन डे ही था। रवि को लगा शायद उस दिन ऑफिस की छुट्टी रहती होगी। तो उसने स्नेहा से फिर पूछा- मैम! कल तो वेलेंटाइन डे है क्या कल छुट्टी नहीं है।
वेलेंटाइन डे का नाम सुनते ही स्नेहा अपने बचपन में खो गई। दूसरे दिन रवि इंटरव्यू देने पहुँचा। तब तो स्नेहा से रहा ही नहीं गया। आखिर उसने पूछ ही लिया- क्या आप वहीं है जिनसे मैं छः वर्ष की उम्र में बिछड़ गई थी। स्नेहा के द्वारा इस तरह अचानक किसी कोई सवाल की उम्मीद रवि को नहीं थी। रवि को क्या जवाब दे या ना दें यह समझ में नहीं आ रहा था।
तभी स्नेहा ने उसे अपने बचपन के उस वेलेंटाइन डे सेलिब्रेशन के बारे में बताया तो रवि के दिमाग को एक जोरदार झटका लगा। रवि को सबकुछ याद आ गया। अपनी पुरानी फ्रेंड को पाकर रवि बहुत खुश हुआ। और स्नेहा भी।
रवि को पाकर स्नेहा की खुशी का ठिकाना न रहा। शाम को वह रवि को अपने घर ले गई। अपने मम्मी-पापा से उसे मिलवाने और वेलेंटाइन डे पर अपना प्यार वापस माँगने।