उर्दू में एक मशहूर शायरा हुई हैं मुमताज़ मीरज़ा। मुमताज़ मीरज़ा का नाम मुमताज़ मिर्ज़ा अधिक प्रचलित है लेकिन सही नाम मुमताज़ मीरज़ा है। पाकिस्तान रेडियो में काम करती थीं। अब उनका निधन हो गया। पाकिस्तान में रहती थीं और हिन्दुस्तान का विभाजन होने से पहले 1928 में हिन्दुस्तान में पैदा हुई थीं।
तुम को हम दिल में बसा लेंगे, तुम आओ तो सही।
सारी दुनिया से छुपा लेंगे, तुम आओ तो सही।
एक वादा करो अब हमसे न बिछड़ोगे कभी
नाज़ हम सारे उठा लेंगे, तुम आओ तो सही।
बेवफ़ा भी हो सितमगर भी जफ़ा-पेशा भी
हम ख़ुदा तुम को बना लेंगे, तुम आओ तो सही।
यूँ तो जिस सिम्त नज़र उठती है तारीकी है,
प्यार के दीप जला लेंगे, तुम आओ तो सही।
इख़्तलाफ़ात भी मिट जाएँगे रफ़्ता-रफ़्ता,
जिस तरह होगा निभा लेंगे, तुम आओ तो सही ।
दिल की वीरानी से घबराके ना तुम मुँह को मोड़ो
बज़्म ये फिर से सजा लेंगे, तुम आओ तो सही ।
राह तारीक है और दूर है मंज़िल लेकिन
दर्द की शमाएँ जला लेंगे, तुम आओ तो सही ।