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गाओ सखी, आया है वसंत
विवेक हिरदे
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंतराजा है ये ऋतुओं का आनंद है अनंत।पीत सोन वस्त्रों से सजी है आज धरतीआँचल में अपने सौंधी-सौंधी गंध भरती।तुम भी सखी पीत परिधानों में लजाना,नृत्य करके होकर मगन प्रियतम को रिझाना।सीख लो इस ऋतु में क्या है प्रेम मंत्रगाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।राजा है ऋतुओं का आनंद है अनंतगाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।नील पीत वातायन में तेजस प्रखर भास्करस्वर्ण अमर गंगा से बागों और खेतों को रंगकर।स्वर्ग सा गजब अद्भुत नजारा बिखेरकरलौट रहे सप्त अश्वों के रथ में बैठकर।हो न कभी इस मोहक मौसम का अंतगाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।राजा है ऋतुओं का आनंद है अनंतगाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।