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बसंत पंचमी : विदेशों में भी पूज्य हैं मां सरस्वती, जानिए किस नाम से विख्‍यात है मां

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Saraswati Devi
 
 
बसंत पंचमी का उत्सव : 
 
बसंत पंचमी का पर्व धार्मिक उत्सव का दिन है। इस दिन देवी सरस्वती (sarasvati pooja) की आराधना विशेष रूप से की जाती है। देवी मां सरस्वती के बारे में कहा जाता है कि ये मूर्ख को भी विद्वान बना सकती हैं। देवी सरस्वती हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी है, जिसे ज्ञान और विद्या की देवी माना गया है। वसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती, माता शारदा, देवी वाग्देवी, भारती, वीणावादिनी आदि नामों से पूजित इस विख्यात देवी की पूजा व सामाजिक कार्यक्रम माना जाता है। 
 
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ज्ञान की पूजा का महत्व हमारी भारतीय संस्कृति में सदियों से है और यह आगे भी जारीरहेगा। यही कारण है कि दुनिया के लगभग हर देश में ज्ञान की देवी और देवताओं परिकल्पना की गई है। उसे कताई-बुनाई, संगीत, चिकित्सा शास्त्र और गणित सहित रोजमर्रा के कार्यो में निपुणता की देवी माना गया है। 
 
कहां-कहां होती हैं देवी सरस्वती की पूजा-sarasvati pooja in foreign countries 
 
पुराणों के अनुसार सदियों के देवी सरस्वती की पूजा भारत और नेपाल तथा विदेश में होती आ रही है। देवी सरस्वती को बर्मा (म्यांमार) में थुयथदी, सूरस्सती और तिपिटका मेदा (Tipitaka Medaw), चीन में बियानचाइत्यान (Bianchaitian), जापान में बेंजाइतेन (Benzaiten) और थाईलैंड में सुरसवदी (Surasawadee) के नाम से जाना जाता है। 
 
मां देवी सरस्वती की आराधना केवल भारत और नेपाल में ही नहीं, बल्कि चीन, थाईलैंड, जापान, इंडोनेशिया, बर्मा (म्यांमार) और अन्य कई देशों में भी होती है। प्राचीन ग्रीस में एथेंस शहर की संरक्षक देवी एथेना को ज्ञान, कला, साहस, प्रेरणा, सभ्यता, कानून-न्याय, गणित, जीत की देवी माना गया. जापान की लोकप्रिय देवी बेंजाइतेन को हिंदू देवी सरस्वती का जापानी संस्करण कहा जाता है।

इस देवी के नाम पर जापान (Japan) में कई मंदिर हैं। जर्मनी में जहां इन्हें स्नोत्र को ज्ञान, सदाचार और आत्मनियंत्रण की देवी माना गया है, वहीं फ्रांस, स्पेन, इंग्लैंड, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया सहित कई यूरोपीय देशों में ज्ञान और शिल्प की देवी के रूप में मिनर्वा का स्मरण किया जाता है।
 
Devi ka Swaroop-देवी का स्वरूप- माघ शुक्ल पंचमी, जिसे वसंत पंचमी भी कहते हैं, उस दिन देवी सरस्वती की आराधना विशेष रूप से की जाती है। धार्मिक ग्रंथों में माता सरस्वती के रूप-रंग को शुक्लवर्णा और श्वेत वस्त्रधारिणी बताया गया है, जो वीणावादन के लिए तत्पर तथा श्वेत कमल पुष्प पर आसीन रहती हैं। देवी सरस्वती को 'वाणी की देवी' के नाम से संबोधित किया जाता है तथा 'वागेश्वरी' और हाथों में वीणा होने के कारण इन्हें 'वीणापाणि' नाम भी दिया गया है। 
 
Maa Saraswati ka Jamotsav-मां सरस्वती के जन्मोत्सव का दिन- बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती माता की पूजा की प्रथा सदियों दुनिया भर में चली आ रही है। मान्यतानुसार सृष्टि के निर्माण के समय देवी सरस्वती बसंत पंचमी के दिन प्रकट हुई थीं, इसी वजह से बसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है तथा उनकी अलग-अलग नामों से भारत और देश-विदेश में पूजा-अर्चना की जाती है।

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