माघ शुक्ल को मनाए जाने वाले त्योहार वसंत पंचमी का महत्व हमारे देश में बहुत ज्यादा है। इस दिन मां सरस्वती के साथ हर भगवान को आम का बौर चढ़ाया जाता है। इस दिन मां शारदा का पूजन-अर्चन तथा मंत्र जाप करने का अनंत गुना फल मिलता है।
1 . श्री सरस्वती-गायत्री मंत्र- ॐ ऐं वाग्दैव्यै विद्महे कामराजाय धीमही तन्नो देवी प्रचोदयात।
प्रयोग- प्रात: 10,000 जप
2 . 'ऐं' इस एकाक्षरी मंत्र को माता सरस्वती का बीज मंत्र कहते हैं। इसके 12 लाख जप करने से सिद्धि मिलती है।
3. अगर आप कवि या लेखक बनना चाहते हैं तो नित्य 100 माला बसंत पंचमी से प्रारंभ कर 1 वर्ष तक करें।
ॐ वद् वद् वाग्वादिनी स्वाहा।
4. अगर आप अपनी कविताओं से प्रतिष्ठा कमाना चाहते हैं तो नित्य 11 माला वसंत पंचमी से प्रारंभ कर 1 वर्ष तक करें। ॐ ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नम:।
5. अगर आप कुशल वक्ता बनना चाहते हैं तो ) ॐ ह्रीं श्रीं हूं फट स्वाहा मंत्र की 11 माला नित्य करें। ऐसा करने से व्यक्ति वागीश हो जाता है। वाक् सिद्धि हो जाती है। सरस्वती देवी की मूर्ति या चित्र श्वेत अक्षत पर रख श्वेत पुष्प चढ़ाएं।
भगवान आशुतोष के पूजन का भी बड़ा महत्व है। भगवान शिव को इस दिन कुमकुम, हल्दी भी चढ़ाई जाती है तथा आम का मौर चढ़ाया जाता है।
स्फटिक के शिवलिंग या पारे के शिवलिंग पर दूध से अभिषेक कर शिव षडाक्षरी मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' जपने से मेधा वृद्धि होती है। रुद्राक्ष की माला तथा ऊनी आसन पूर्वाभिमुख रखते हुए पूजन तथा जप करें।
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे, सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
दश महाविद्या में नील सरस्वती का पूजन भी इस दिन होता है। यह मंत्र भी वाणी और लेखनी का आशीष प्रदान करते हैं।
(1) ह्रीं त्रीं हूं।
(2) ॐ ह्रीं श्रीं हूं फट स्वाहा।
(3) ॐ नम: पद्मासने शब्द रूपे ऐं ह्रीं क्लीं वद् वद् वाग्वादिनी स्वाहा।