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वसंत पंचमी पर क्यों करते हैं कामदेव की पूजा? कारण जानकर रह जाएंगे दंग

हमें फॉलो करें वसंत पंचमी पर क्यों करते हैं कामदेव की पूजा? कारण जानकर रह जाएंगे दंग
, शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022 (12:44 IST)
Madanotsava 2022: भारत में वसंत पंचमी ( Basant Panchami 2022) के दिन को मदनोत्सव और वसंतोत्सव (Vasantotsav) का दिन माना जाता है। बसंत पंचमी पर माता सरस्वती पूजा के साथ ही कामदेव (Kamadev) की पूजा भी होती है। आओ जानते हैं कि क्या कारण है इसके पीछे।
 
 
1. वसंत पंचमी को मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। कामदेव का ही दूसरा नाम है मदन। वसंत पंचमी के दिन कामदेव की पूजा की जाती है। वसंत कामदेव का मित्र है इसलिए कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है। इस धनुष की कमान स्वरविहीन होती है यानी जब कामदेव जब कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज नहीं होती है।
 
 
2. कामदेव का एक नाम 'अनंग' है यानी बिना शरीर के ये प्राणियों में बसते हैं। एक नाम 'मार' है यानी यह इतने मारक हैं कि इनके बाणों का कोई कवच नहीं है। वसंत ऋतु को प्रेम की ही ऋतु माना जाता रहा है। इसमें फूलों के बाणों से आहत हृदय प्रेम से सराबोर हो जाता है।
 
3. कामदेव का धनुष मिठास से भरे गन्ने का बना होता है जिसमें मधुमक्खियों के शहद की रस्सी लगी है। उनके धनुष का बाण अशोक के पेड़ के महकते फूलों के अलावा सफेद, नीले कमल, चमेली और आम के पेड़ पर लगने वाले फूलों से बने होते हैं। कामदेव के पास मुख्यत: 5 प्रकार के बाण हैं। कामदेव के 5 बाणों के नाम: 1. मारण, 2. स्तम्भन, 3. जृम्भन, 4. शोषण, 5. उम्मादन (मन्मन्थ)।
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4. भगावन श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में कहा है- ''मैं ऋतुओं में वसंत हूं।''...क्योंकि इस दिन से प्रकृति का कण-कण वसंत ऋतु के आगमन में आनंद और उल्लास से गा उठता है। मौसम भी अंगड़ाई लेता हुआ अपनी चाल बदलकर मद-मस्त हो जाता है। प्रेमी-प्रेमिकाओं के दिल भी धड़कने लगते हैं। इस दिन से जो-जो पुराना है सब झड़ जाता है। प्रकृति फिर से नया श्रृंगार करती है। टेसू के दिलों में फिर से अंगारे दहक उठते हैं। सरसों के फूल फिर से झूमकर किसान का गीत गाने लगते हैं। कोयल की कुहू-कुहू की आवाज भंवरों के प्राणों को उद्वेलित करने लगती है। गूंज उठता मादकता से युक्त वातावरण विशेष स्फूर्ति से और प्रकृति लेती हैं फिर से अंगड़ाइयां। इसी कारण यह प्रेम के इजहार का दिवस माना जाता है।
 
 
5. यौवनं स्त्री च पुष्पाणि सुवासानि महामते:।
गानं मधुरश्चैव मृदुलाण्डजशब्दक:।।
उद्यानानि वसन्तश्च सुवासाश्चन्दनादय:।
सङ्गो विषयसक्तानां नराणां गुह्यदर्शनम्।।
वायुर्मद: सुवासश्र्च वस्त्राण्यपि नवानि वै।
भूषणादिकमेवं ते देहा नाना कृता मया।।
 
मुद्गल पुराण के अनुसार कामदेव का वास यौवन, स्त्री, सुंदर फूल, गीत, पराग कण या फूलों का रस, पक्षियों की मीठी आवाज, सुंदर बाग-बगीचों, वसंत ऋ‍तु, चंदन, काम-वासनाओं में लिप्त मनुष्य की संगति, छुपे अंग, सुहानी और मंद हवा, रहने के सुंदर स्थान, आकर्षक वस्त्र और सुंदर आभूषण धारण किए शरीरों में रहता है। इसके अलावा कामदेव स्त्रियों के शरीर में भी वास करते हैं, खासतौर पर स्त्रियों के नयन, ललाट, भौंह और होठों पर इनका प्रभाव काफी रहता है।
 
 
6. इस अवसर पर ब्रजभूमि में भगवान श्रीकृष्ण और राधा के रास उत्सव को मुख्य रूप से मनाया जाता है। 
 
7. औषध ग्रंथ चरक संहिता में उल्लेखित है कि इस दिन कामिनी और कानन में अपने आप यौवन फूट पड़ता है। ऐसे में कहना होगा कि यह प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए इजहारे इश्क दिवस भी होता है।
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