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वस्तुओं में फेरबदल कर वास्तु दोष समाप्त करें

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- ओमप्रकाश व्यास
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वास्तु शास्त्र इसके रचयिता विश्वकर्माजी की मानव को अभूतपूर्व देन है। ज्योतिष विज्ञान के अंतर्गत वास्तु का एक महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी भवन का निर्माण करते समय उसे वास्तुनुकूल बनाना आवश्यक है क्योंकि घर में सुख, शांति एवं समृद्धि इसी पर आधारित है। वास्तु दोष होने पर भवन में कई प्रकार की परेशानियाँ, अस्वस्थता, अकारण दुःख, हानि, चिंता एवं भय आदि बना रहता है।

आधुनिक युग में फ्लैट संस्कृति चारों ओर विकसित हो चुकी है। इन फ्लैटों में अगर वास्तु दोष हों तो भी तोड़-फोड़कर अनुकूल बनाना संभव नहीं हो पाता है। कई जगह धनाभाव या अर्थाभाव के कारण भी व्यक्ति वास्तु दोष का निवारण नहीं कर पाता है। लेकिन ऐसे में निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसे में हम घर के सामान या वस्तुओं में फेर-बदलकर वास्तु दोष को एक सीमा तक समाप्त कर सकते हैं।
  वास्तु शास्त्र इसके रचयिता विश्वकर्माजी की मानव को अभूतपूर्व देन है। ज्योतिष विज्ञान के अंतर्गत वास्तु का एक महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी भवन का निर्माण करते समय उसे वास्तुनुकूल बनाना आवश्यक है क्योंकि घर में सुख, शांति एवं समृद्धि इसी पर आधारित है।      


उदाहरण के तौर पर आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण का कोना) में रसोईघर होना चाहिए किन्तु ऐसा न होने पर अग्नि की पुष्टि नहीं हो पाती है। इसके निवारण के लिए हम घर की इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को जैसे फ्रीज, टी.वी. इत्यादि को इस कोने में रखकर इसे पुष्ट बना सकते हैं। इसी प्रकार घर की पूर्व एवं उत्तर दिशा को खाली रखा जाना चाहिए।

अगर ऐसा संभव न हो तो पूर्व या उत्तर दिशा में रखी वस्तुओं के वजन से लगभग डेढ़ गुना वजन नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) या दक्षिण दिशा में रखा जाना चाहिए क्योंकि नैऋत्य कोण भारी एवं ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) हलका होना चाहिए। इसी प्रकार घर की घड़ियों को हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में लगाया जाना जाना चाहिए इससे अच्छे समय के आगमन के व्यवधान समाप्त होते हैं। ईशान कोण पवित्र एवं स्वच्छ रखा जाना चाहिए एवं एक घड़ा जल भरकर इस कोने में रखना चाहिए, इसके सत्परिणाम मिलते हैं।

सभी महत्वपूर्ण कागजों को पूर्व या उत्तर दिशा में रखा जाना चाहिए ऐसा न करने से इनसे संबंधित घटनाएँ अहितकारी रहती हैं। इस प्रकार घर के शयन कक्ष, पूजा-स्थल, तिजोरी, बाथरूम, बैठक-स्थल, भोजन-कक्ष, मुख्य द्वार एवं खिड़की आदि में परिवर्तन कर वास्तु दोष ठीक कर जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

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