Chhayavedh in vastu shastra: वास्तु के अनुसार घर पर पड़ने वाली छाया का अच्छा और बुरा प्रभाव तब जाना जाता है जबकि यह तय हो जाता है कि छाया किस दिशा से और कब तक पड़ रही है। माना जाता है कि दक्षिण दिशा से पड़ने वाली छाया का प्रभाव बुरा होता है। हालांकि यह देखना जरूरी होता है कि घर के उपर किसकी छाया पड़ रही है और किस दिशा से और किस प्रहर में छाया होती है। उसी से लाभ या नुकसान का पता चलता है। यह छाया मंदिर, पेड़, पहाड़, ध्वज, मकान आदि की हो सकती है।
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छायावेध : यदि 10 से 3 बजे के बीच किसी मंदिर, नकारात्मक वृक्ष, ध्वज, अन्य ऊंचा भवन, पहाड़, स्तूप, खंभे आदि की छाया पड़े तो इसे छायावेध कहते हैं। छाया 2 प्रहरसे ज्यादा लगभग 6 घंटे मकान पर पड़ती है तो वास्तुशास्त्र में उसे छाया वेध कहते हैं।
छायावेध मुख्यतः पांच प्रकार का होता है। 1.मंदिर, 2.वृक्ष, 3.पर्वत, 4.भवन और 4. ध्वज।
1. ध्वज छाया : मंदिर से 100 फीट की दूरी के भीतर बनाए गए मकान ध्वज छाया वेध से पीड़ित रहते हैं, परंतु यह निर्भर करता है मंदिर की ऊंचाई और ध्वज की ऊंचाई पर क्योंकि हो सकता है कि मंदिर छोटा हो और उसके ध्वज की छाया आपके मकान पर नहीं पड़ रही हो। अगर मंदिर की ध्वजा की ऊंचाई से दो गुनी जगह छोड़कर घर बना हो तो दोष नहीं लगता।
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3. पर्वत छाया : यदि आपके घर के पास पहाड़, पहाड़ी या कोई टिला है जिसकी छाया आपके भवन पर पड़ रही है तो यह भी देखना होगा कि किस दिशा से पड़ रही है। किसी भी भवन के पूर्व दिशा में स्थित पर्वत की छाया मकान पर पड़ना ही पर्वत छाया वेध कहलाता है बाकि दिशाओं से कोई असर नहीं होता है। पर्वत छाया वेध के कारण मुख्य रूप से प्रगति में रूकावट आती है और लोकप्रियता घटती है।
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4. भवन छाया वेध : यदि आपके मकान से कोई दूसरा बड़ा मकान है तो उसकी छाया आपके मकान पर रहेगी। लेकिन इसमें दिशा का ज्ञान होना भी जरूरी है। मकान की छाया यदि आस-पास किसी बोरिंग या कुंए पर पड़ती है तो इसको भवन छाया वेध कहा जाता है, इस प्रकार के वेध के कारण धन हानि होती होती है। यह भी कहा जाता है कि एक घर से दूसरे घर में वेध (छायावेध) पड़ने पर गृहपति का विनाश होता है। एक घर से दूसरे घर में वेध (छायावेध) पड़ने पर गृहपति का विनाश होता है।
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5. वृक्ष छाया वेध : प्रातः 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक यदि किसी वृक्ष की छाया मकान पर पड़ती है तो ही यह नुकसान दायक होती है। इसमें भी दिशा का ज्ञान होना जरूरी है। इस वेध से उन्नति रुक जाती है। घर की आग्नेय दिशा में वट, पीपल, सेमल, पाकर तथा गूलर का वृक्ष होने से पीड़ा और मृत्यु होती है। नकारात्मक वृक्षों की छाया से रोग और शोक निर्मित होते हैं।