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कहीं आप राहु के घर में तो नहीं रहते हैं, जानिए रहस्य....

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अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

आपके लिए यह जानना बहुत‍ जरूरी है कि आप किस तरह के माकान में रहते हैं। यदि राहु, शनि या केतु के घर में रह रहे हैं तो यह आपके लिए अच्‍छा भी हो सकता है और बुरा भी। निर्भर करता है‍ कि आपकी कुंडली में ये तीनों किस स्थान पर है। हम आपको एक ऐसे रहस्य बताएंगे जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
इस लेख को पढ़कर आपको खुद ही पता चल जाएगा कि आप किस तरह के घर में रह रहे हैं और आपको किस तरह के घर में रहना चाहिए। सचमुच ही ग्रहों से ज्यादा तो व्यक्ति के जीवन पर घर का पड़ता है। यदि आप हत्यारे मकान में रह रहे हैं तो सतर्क हो जाएं, क्योंकि कुछ घर ऐसे भी होते हैं जहां इतनी नकारात्मक ऊर्जा होती है कि आप दिनभर अपराध करने या अपराध का शिकार होने के बारे में ही सोचते रहते हैं और अंतत: सोच का परिणाम जरूर आता है।
 
तो जानिए कि आप किस तरह के घर में रह रहे हैं। यदि आप किसी खतरनाक घर में रह रहे हैं तो तुरंत ही उसे छोड़ दें या किसी वास्तुशास्त्री से मिलें। कुछ समय की मौहलत चाहते हैं तो छोटा-सा उपाय अपनाएं प्रतिदिन सुबह और शाम कपूर जलाएं और हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दें। खैर...आप जानिए कि आप किस तरह के घर में रह रहे हैं।
 
 
अगले पन्ने पर पहले सूर्य का मकान...
 

1.सूर्य का मकान : नौ ग्रहों में सबसे पहला नंबर सूर्य का ही आता है हालांकि सूर्य ग्रह नहीं है। लाल किताब अनुसार माना जाता है कि जिनके घर, मकान, भवन या दुकान का द्वार पूर्वमुखी है उनका मकान सूर्य का मकान माना जाएगा।
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इस तरह के अधिकतर मकानों में पानी का स्थान मकान के गेट में दाखिल होते ही दाएं हाथ पर होता है। हो सकता है कि तेज फल का वृक्ष लगा हो और बड़ा-सा दरवाजा भी हो तो समझों यह सूर्य का पक्का मकान है, जहां हवा से ज्यादा प्रकाश होता है।
 
ज्यादा प्रकाश भी जिंदगी में अंधेरा ला देता है। अत: यदि पूर्वमुखी मकान है तो उसको वास्तु अनुसार जरूर बनाएं और भूमिगत पानी का टैंक हमेशा ईशान या उत्तर में ही रखे। इसके अलावा घर के बाहर का आग्नेय कोण कवर करके रखे या ढंक कर रखें।
 
अगले पन्ने पर चंद्र का मकान...
 

2.चंद्र का मकान : लाल किताब अनुसार चंद्र का मकान अधिकतर पश्चिम या उत्तर कोण में होता है। चंद्र का मकान उत्तम माना गया है, जोकि शीतलता प्रदान करता है।
 
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यदि यह इस कोण में नहीं है तो चंद्र के मकान की एक ओर निशानी है। मकान से 24-25 कदम दूर या ठीक सामने कुआं, हैंडपंप, तालाब या बहता हुआ पानी अवश्य होगा तब ऐसी स्थिति में भी इसे चंद्र का मकान माना जाएगा।
 
इसके अलावा घर के आसपास दूध वाले वृक्ष अधिक हैं तो भी यह चंद्र का मकान होगा। चंद्र के मकान या घर में शांति होती है। जहां शांति होती है वही लक्ष्मी भी होती है। लेकिन यदि आपने अपने इस मकान के आसपास शनि से संबंधित पौधों और वृक्षों को लगा लिया या लगा रखा है तो आपका मकान चंद्र-शनि से युक्त होकर भारी परेशानी का कारण उत्पन्न कर देगा और आपको फकीर बना देगा।
 
अगले पन्ने पर मंगल का मकान...
 

3. मंगल का मकान : मंगल ग्रह की दिशा दक्षिण मानी गई है। यदि आपका मकान दक्षिणमुखी है तो नीम का पेड़ मंगल की स्थिति तय करता है कि मंगल शुभ असर देगा या नहीं। अर्थात यह मकान आपको फलेगा या नहीं।
 
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यह रहस्यमयी ज्ञान है कि घर के सामने नीम का पेड़ जरूर लगाएं, तो दक्षिण दिशा का बुरा असर कम होगा, लेकिन फिर नीम का पेड़ तय करेगा आपका भाग्य। हलांकि किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही यह कार्य करें। वैसे मंगल के मकान के पास नीम का पेड़ जरूर होता है।
 
आपकी कुंडली में मंगलबद या बुरा है तो आपको यह मकान नसीब होगा। मंगल के बुरे असर के कारण व्यक्ति के घर में कलह और धन का अभाव रहता है। व्यक्ति अपराध के रास्ते पर चला जाता है या किसी भी प्रकार का नशा करने लगता है। ऐसे मकान के वास्तुदोष को दूर करने के लिए लाल किताब के विशेषज्ञ या किसी वास्तुशास्त्री से मिलें।
 
अगले पन्ने पर बुध का मकान...
 

4. बुध का मकान : लाल किताब के अनुसार बुध ग्रह के मकान की निशानी है कि उसके चारों ओर खाली जगह रहती है। अर्थात उसके घर के आसपास किसी अन्य का घर नहीं होता। हो सकता है कि यह मकान किसी शहर, गांव, मोहल्ले में सभी मकानों से अलग-थलग अकेला ही नजर आता हो।
 
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इसके अलावा बुध के मकान की निशानी है कि मकान के आसपास चौड़े पत्तों के वृक्ष होंगे। बुध के मकान के आसपास कभी भी गुरु और चंद्र से संबंधित वृक्ष नहीं लगाना चाहिए या नहीं होना चाहिए। यदि गुरु और चंद्र के वृक्ष के साथ मकान हुआ तो वह घर बुध की दुश्मनी का पुख्ता प्रमाण माना जाएगा। ऐसे घरों पर बुध का असर बुरा होता है। इससे व्यापार और नौकरी में हानि होती है।
 
अगले पन्ने पर बृहस्पति का मकान....
 
 

5.बृहस्पति का मकान : बृहस्पति अर्थात गुरु का मकान बहु‍त ही सुहाना होता है। ऐसे मकान में सुहानी हवा के रास्ते होते हैं। ऐसे मकानों में दरवाजा कभी भी दक्षिण में नहीं होता है।
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अक्सर ऐसे घरों के सामने पीपल का वृक्ष जरूर होता है। यदि पीपल का वृक्ष नहीं है तो धर्मस्थल होगा। ऐसे घर का दरवाजा ईशान या उत्तर में है तो यह गुरु का घर कहलाएंगा। यहां कभी भी घटना या दुर्घटना नहीं होती। सभी के दिमाग शांत रहते हैं। ऐसे घरों के सदस्यों का पद, मान-सम्मान बढ़ता रहता है, लेकिन शर्त यह कि गुरु ग्रह के दुश्मन ग्रहों से संबंधित वृक्ष घर के आसपास नहीं होना चाहिए।
 
अगले पन्ने पर शुक्र ग्रह का मकान...
 

6.शुक्र का मकान : अक्सर गांवों में इस तरह के मकान होते हैं। शहरों में तो फ्लैट संस्कृति के चलते अब ऐसे मकान नहीं दिखाई देते। फिर भी घर में किसी एक जगह पर आपने कच्चा स्थान छोड़ रखा है, अर्थात जहां फर्श नहीं लगाया, तो समझो वहां शुक्र का असर होगा।
 
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यदि पूरे घर में ही फर्श नहीं लगा तो शुक्र का घर माना जाएगा। घर के आसपास आमतौर पर कपास का पौधा नहीं होता फिर भी मनी प्लांट या जमीन पर आगे बढ़ने वाली लेटी हुई कोई भी बेल है तो वह शुक्र ग्रह की कारक है। वैसे शुक्र की और चंद्र की दिशा एक समान ही मानी गई है।
 
शुक्र को बलवान करने के लिए घर को अधिक से अधिक साफ-सुधरा और सुंदर बनाएं। इससे आपको स्त्री और धन का सुख मिलता रहेगा। पेड़ पौधे लगाते व्यक्ति यह जरूर जान लें की आपकी कुंडली में कौन सा ग्रह सही है।
 
अगले पन्ने पर शनि का मकान...
 
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7.शनि का मकान : लाल किताब के अनुसार यदि आपके मकान में तलघर है तो यह शनि के असर वाला मकान है। इसके अलावा यदि तलघर नहीं भी है लेकिन कीकर, आम और खजूर का वृक्ष है तो यह शनि का मकान होगा। तीनों है तो पक्के रूप में इस मकान पर शनि का असर होगा।
 
लाल किताब के विशेषज्ञों अनुसार शनि के मकान के पास कीकर, आम या खजूर के वृक्ष हो सकते हैं। घर में तलघर हो सकता है। पीछे की दीवार कच्ची हो सकती है। यदि वह ‍दीवार गिर जाए तो शनि के खराब होने की निशानी मानी जाती है।
 
अगले पन्ने पर राहु का मकान..
 

8.राहु का मकान : जिनका घर राहु का घर है वह अंदर से बहुत ही भयानक अहसास वाला होता है। कई दिनों से खाली पड़ा डरावना-सा मकान भी राहु के असर वाला घर हो सकता है। आपने देखा होगा किस किसी के घर में घुसते ही अजीब सा महसूस होता है। हवा वहां की स्थित लेकिन अजीब अहसार पैदा करने वाली होती है। अक्सर हवेलीनुमा घरों में ऐसा होता है।
 
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इस तरह के घरों में या तो आत्मा का निवास होता है या फिर यहां रहने वाले लोग ही खुद भूत की तरह रहते हैं, जिनकी जिंदगी एक रहस्य बनकर रह जाती है। यदि राहु का बुरा असर है तो यहां आने जाने वाले लोग कम होंगे और घर का कोई सदस्य आत्महत्या कर सकता है या किसी की हत्या हो सकती है। लेकिन राहु का अच्छा असर है तो ऐसे घर खानदानी और रईस साबित होते हैं।
 
वैसे आमतौर पर भारत के दक्षिण इलाके के अलावा अन्य घरों के आसपास नारियल के पेड़ नहीं होते, तो केक्टस को भी राहु का कारक माना जाता है। यदि आपके अपने घर में या घर के आसपास केक्टस लगा रखा है तो अपके घर पर राहु का असर होगा। हालांकि राहु के असर वाले और भी पौधे होते हैं। नारियल में राहु का अच्छा असर होता है लेकिन केक्टर में बुरा।
 
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9.केतु का मकान : केतु का मकान अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। केतु के मकान की निशानी है कि यह मकान कोने का होगा। तीन तरफ मकान एक तरफ खुला या तीन तरफ खुला हुआ और एक तरफ कोई साथी मकान या खुद उस मकान में तीन तरफ खुला होगा।
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यदि केतु के मकान है तो केतु के मकान में नर संतानें लड़के चाहे पोते हों, लेकिन कुल तीन ही होंगे। इस मकान में बच्चों से संबंधित, खिड़कियां, दरवाजे, बुरी हवा, अचानक धोखा होने का खतरा रहता है। हो सकता है कि मकान के आसपास इमली का वृक्ष, तिल के पौधे या केले का वृक्ष हो।
 
अंत में जानिए कौन सा मकान है सबसे उत्तम..
 
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लाल किताब विशेषज्ञों अनुसार सबसे उत्तम गुरु और चंद्र का घर माना जाता है। अर्थात ईशान, उत्तर, वायव्य और पश्चिम दिशा। इस दिशा में यदि मकान है तो उसे गुरु और चंद्र के वृक्ष और पौधों से सुंदर तथा शांतिदायक बना सकते हैं।
 
इस प्रकार के घर में जल और अग्नि के स्थान को अच्छी तरह से नियुक्त किया जाना चाहिए जिससे सुख और समृद्धि बढ़ती जाए। ऐसा मकान आर्थिक तरक्की, धन-समृद्धि और मांगलिक कार्यों के लिए अतिउत्तम होता है। किसी भी प्रकार का दुख इस तरह के मकान में नहीं रहता है। 
 
अंत में जानिए कि इसके पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण..
 

मनुष्य जब जंगल में रहता था, आंधी, तूफान, बारिश और तेज धूप से वह जूझता रहता था, लेकिन आज मानव घरों में सुरक्षित है। निश्चित ही वह आज प्रत्यक्ष प्राकृतिक आपदाओं से स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है, लेकिन उन प्राकृतिक आपदाओं का क्या जो दिखाई नहीं देतीं?
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जो आपदाएं दिखाई नहीं देतीं उनमें शामिल हैं धरती पर अन्य ग्रहों, नक्षत्रों और तमाम तरह के ऊर्जा पुंजों के प्रभाव। घर के आसपास के वृक्ष, वस्तुओं आदि का प्रभाव। इन प्रभावों का असर धरती के प्रत्येक भू-भाग पर अलग-अलग होता है। जैसे मंगल ग्रह का प्रभाव जहां समुद्र में मूंगे के पहाड़ का कारण हैं, वहीं जंगलों के लाल फूल या मानव की रगों में दौड़ रहे लाल रंग को मंगल ही तो संचालित करता है।
 
इसी तरह प्रत्येक ग्रह का एक वृक्ष या पौधा ही नहीं एक पशु और पक्षी भी होता है। घर में पाला जाने वाला कुत्ता केतु का असर बढ़ाता है तो तोता बुध का। हाथी राहु का तो बंदर मंगल का। 
 
इसके अलावा दसों दिशाओं से जो नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा का बहाव जारी है उसके प्रभाव को समझना जरूरी है। कुछ लोग इस प्रभाव से बच जाते हैं तो कुछ इसकी चपेट में आ जाते हैं। जो चपेट में आ जाते हैं उनमें भी कुछ इसे झेल जाते हैं तो कुछ इसी में बह जाते हैं।
 
मजबूत और वास्तु के अनुसार बने घर जहाँ दिखाई देने वाली आपदाओं से बचाते हैं, वहीं वे न दिखाई देने वाली आपदाओं से भी बचाते हैं। जरूरत है यह जानने कि आखिर उत्तम घर कौन-सा है?
 
हमारा शरीर भी एक घर है। इसका अपना एक अलग वास्तु है। इसके वास्तु को ठीक करने के लिए भोजन और योगासन है, लेकिन घर के वास्तु को ठीक करने के लिए समझना होगा वास्तु शास्त्र के नियम को। लाल किताब अनुसार जानें स्वयं के मकान की स्थिति।

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