Vastu Tips For Window: खिड़कियों से अच्छी हवा के साथ ही बुरी हवा का आगमन में हो सकता है। इसी तरह उजाले को भी माना जा सकता है। घर की खिड़कियां यदि यह उचित दिशा में नहीं है तो यह जीवन में अचानक आने वाले धोखे, घटना-दुर्घटना और रोग-शोक को भी जन्म देने की संभावना बढ़ा सकती है।
इस दिशा में नहीं होना चाहिए खिड़की:-
नैऋत्य कोण- दक्षिण और पश्चिम के बीच की दिशा को नैऋत्य कोण कहते हैं। इस दिशा में खिड़की होने से इससे घर के मुखिया को चुनौतियों का सामना करना होता है। इसके लिए बाहर से हनुमानजी की मूर्ति या तस्वीर लगाएं। खिड़की पर मोटे कपड़े का पर्दा लगाएं। घर के नैऋत्य कोण में दरवाजा या खिड़की है तो हल्का गुलाबी या नींबू जैसे पीले रंग के पर्दे लगा सकते हैं।
दक्षिण दिशा- इस दिशा में खिड़की होने से घर के सभी सदस्यों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मानसिक तनाव के साथ ही गृहकलह बढ़ सकती है। दक्षिण दिशा में खिड़की होने से रोग और शोक की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि यह यम की दिशा होती है। इसके लिए बाहर से हनुमानजी की मूर्ति या तस्वीर लगाएं। घर की दक्षिण दिशा की खिड़की शुभ नहीं होती, यदि है तो उस पर मोटा पर्दा लगा दें। घर की दक्षिण में दरवाजा या खिड़की है तो गाढ़े रंग में मोटे कपड़े के पर्दे तब लगाना चाहिए। यहां लाल, गहरे हरे रंग का उपयोग कर सकते हैं।
आग्नेय कोण- पूर्व और दक्षिण की दिशा के बीच के स्थान को आग्नेय कोण कहते हैं। यह दिशा भी शुभ नहीं मानी जाती है। घर के आग्नेय कोण में दरवाजा या खिड़की है तो पीले या नारंगी रंग के पर्दे लगा सकते हैं। कुछ परिस्थिति में लाल रंग, मेहरून, कैमल ब्राउन व सिंदूरी रंग का परदा भी लगा सकते हैं।
टूटी खिड़कियां:-
यदि खिड़कियां टूटीफूटी और भद्दी है तो यह भी वास्तु दोष है। इससे घर में कई तरह की कठिनाइयां खड़ी हो सकती है। खिड़कियां टूटी हुई, गंदी या आड़ी-तिरझी बनी हुई नहीं होना चाहिए।
खिड़कियों के पल्ले:-
खिड़कियां दो पल्ले वाली होना चाहिए और इन्हें खोलने एवं बंद करने में आवाज नहीं होना चाहिए। पल्ले अंदर की ओर खुलना चाहिए बाहर की ओर नहीं। एक पल्ले वाली खिड़की को शुभ नहीं माना जाता है। आवाज करने वाली खिड़की से घर की सुख और शांति भंग हो जाती है। इसके कारण परिवार के सदस्यों का ध्यान भंग होता है।
द्वारा के सामने और संधि भाग:-
यह भी ध्यान रखें कि मकान में खिड़कियां द्वार के सामने अधिकाधिक होनी चाहिए, ताकि चुम्बकीय चक्र पूर्ण होता रहे। खिड़कियां कभी भी सन्धि भाग में न लगवाएं।
खिड़कियों की संख्या:-
वास्तु के अनुसार मकान में खिड़कियों की संख्या बराबर होनी चाहिए। अर्थात सम संख्या में होना चाहिए। घर की सभी खिड़की व दरवाजे एक समान ऊंचाई पर होने चाहिए। मकान में खिड़कियां द्वार के सामने अधिकाधिक होनी चाहिए, ताकि चुम्बकीय चक्र पूर्ण होता रहे।