Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

घर के आसपास पारिजात का पवित्र पेड़ लगा लिया तो होंगे 5 चमत्कारिक फायदे

Advertiesment
हमें फॉलो करें घर के आसपास पारिजात का पवित्र पेड़ लगा लिया तो होंगे 5 चमत्कारिक फायदे

अनिरुद्ध जोशी

पारिजात के पेड़ को हरसिंगार का पेड़ भी कहा जाता है। इसमें बहुत ही सुंदर और सुगंधित फूल उगते हैं। यह सारे भारत में पैदा होता है। इसे संस्कृत में पारिजात, शेफालिका। हिन्दी में हरसिंगार, परजा, पारिजात। मराठी में पारिजातक। गुजराती में हरशणगार। बंगाली में शेफालिका, शिउली। तेलुगू में पारिजातमु, पगडमल्लै। तमिल में पवलमल्लिकै, मज्जपु। मलयालम में पारिजातकोय, पविझमल्लि। कन्नड़ में पारिजात। उर्दू में गुलजाफरी। इंग्लिश में नाइट जेस्मिन। लैटिन में निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस कहते हैं। 
 
1. पारिजात का वृक्ष जिसके भी घर के आसपास होता है उसके घर के सभी तरह के वास्तुदोष दूर हो जाते हैं।
 
2. पारिजात के फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन केवल उन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है, जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं। जहां यह वृक्ष होता है वहां पर साक्षात लक्ष्मी का वास होता है।
 
3. पारिजात के फूलों की सुगंध आपके जीवन से तनाव हटाकर खुशियां ही खुशियां भर सकने की ताकत रखते हैं। इसकी सुगंध आपके मस्तिष्क को शांत कर देती है। घर परिवार में खु‍शी का माहौल बना रहता है और व्यक्ति लंबी आयु प्राप्त करता है।

webdunia
parijaat
4. पारिजात के ये अद्भुत फूल सिर्फ रात में ही खिलते हैं और सुबह होते-होते वे सब मुरझा जाते हैं। यह फूल जिसके भी घर-आंगन में खिलते हैं, वहां हमेशा शांति और समृद्धि का निवास होता है।
 
5. हृदय रोगों के लिए हरसिंगार का प्रयोग बेहद लाभकारी है। इस के 15 से 20 फूलों या इसके रस का सेवन करना हृदय रोग से बचाने का असरकारक उपाय है, लेकिन यह उपाय किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही किया जा सकता है। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
 
पौराणिक महत्व : उत्तर प्रदेश में दुर्लभ प्रजाति के पारिजात के चार वृक्षों में से हजारों साल पुराने वृक्ष दो वन विभाग इटावा के परिसर में हैं जो पर्यटकों को 'देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन' के बारे में बताते हैं। कहते हैं कि पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी जिसे इंद्र ने अपनी वाटिका में रोप दिया था। हरिवंशपुराण में इस वृक्ष और फूलों का विस्तार से वर्णन मिलता है।

पौराणिक मान्यता अनुसार पारिजात के वृक्ष को स्वर्ग से लाकर धरती पर लगाया गया था। नरकासुर के वध के पश्चात एक बार श्रीकृष्ण स्वर्ग गए और वहां इन्द्र ने उन्हें पारिजात का पुष्प भेंट किया। वह पुष्प श्रीकृष्ण ने देवी रुक्मिणी को दे दिया। देवी सत्यभामा को देवलोक से देवमाता अदिति ने चिरयौवन का आशीर्वाद दिया था। तभी नारदजी आए और सत्यभामा को पारिजात पुष्प के बारे में बताया कि उस पुष्प के प्रभाव से देवी रुक्मिणी भी चिरयौवन हो गई हैं। यह जान सत्यभामा क्रोधित हो गईं और श्रीकृष्ण से पारिजात वृक्ष लेने की जिद्द करने लगी।

webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

2 राशियों के लोग सावधान, ग्रहों की स्थिति कर सकती है हैरान, जानिए राशिफल