शयन कक्ष अर्थात बेडरूम हमारे निवास स्थान की सबसे महत्वपूर्ण जगह है। इसका सुकून और शांतिभरा होना जरूरी है। कई बार शयन कक्ष में सभी तरह की सुविधाएं होने के कारण भी चैन की नींद नहीं आती। कई बार कोई मुद्दा नहीं होता फिर भी पति पत्नी के बीच टेंशन बनी रहती है तो इसका कारण शयन कक्ष का गलत स्थान पर निर्माण या वहां गलत वस्तुओं का होना है। आओ जानते हैं कि शयन कक्ष कैसा होना चाहिए।
शयन कक्ष की दिशा : मुख्य शयन कक्ष, जिसे मास्टर बेडरूम भी कहा जाता हें, घर के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) या उत्तर-पश्चिम (वायव्य) की ओर होना चाहिए। अगर घर में एक मकान की ऊपरी मंजिल है तो मास्टर ऊपरी मंजिल के दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए।
कैसे सोएं : शयन कक्ष में सोते समय हमेशा सिर दीवार से सटाकर सोना चाहिए। पैर दक्षिण और पूर्व दिशा में करने नहीं सोना चाहिए। उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोने से स्वास्थ्य लाभ तथा आर्थिक लाभ की संभावना रहती है। पश्चिम दिशा की ओर पैर करके सोने से शरीर की थकान निकलती है, नींद अच्छी आती है। दीवार में दरारें हों तो उसकी मरम्मत करवा दें।
कौन-सी वस्तुएं नहीं होना चाहिए?
1. बिस्तर के सामने आईना कतई न लगाएं।
2. डबलबेड के गद्दे दो हिस्सों में न हो।
3. शयन कक्ष में धार्मिक चित्र नहीं होना चाहिए।
4. बेडरूम में लाल रंग का बल्ब नहीं होना चाहिए। नीले रंग का लैम्प चलेगा।
5. खराब बिस्तर, तकिया, परदे, चादर, रजाई आदि नहीं रखें।
6. इस कक्ष में टूटा पलंग नहीं होना चाहिए। पलंग का आकार यथासंभव चौकोर रखना चाहिए। पलंग की स्थापना छत के बीम के नीचे नहीं होनी चाहिए। शयन कक्ष के दरवाजे के सामने पलंग न लगाएं। लकड़ी से बना पलंग श्रेष्ठ रहता है।
7. शयन कक्ष में झाड़ू, जूते-चप्पल, अटाला, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, टूटे और आवाज करने वाले पंखें, टूटी-फूटी वस्तुएं, फटे-पुराने कपड़े या प्लास्टिक का सामान न रखें।