Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

भूमि का ढाल किस दिशा में होने से क्या होता है, जानिए

हमें फॉलो करें भूमि का ढाल किस दिशा में होने से क्या होता है, जानिए

अनिरुद्ध जोशी

आपके भवन, मकान या घर की भूमि का ढाल वास्तु के अनुसार किस ओर होना चाहिए यह जानना जरूरी है अन्यथा नाकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होकर धन, समृद्धि संबंधी परेशानी खड़ी हो सकती है। आओ जानते हैं कि भूमि का ढाल किस ओर होने से क्या होता है। यहां इस संबंध में सामान्य जानकारी दी जा रही है। विस्तृत जानकारी हेतु वेबदुनिया का वास्तु चैनल देखें।
 
 
1. पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में नीची भूमि सब दृष्टियों से लाभप्रद होती है। 
 
2. उत्तर दिशा सबसे उत्तम व शुभ मानी गई है। इस दिशा में भूमि का ढाल होने से सेहत लाभ के साथ ही धन-समृद्धि और धन-धान्य प्राप्त होता है।
 
3. माना जाता है कि अगर भूमि का ढलान पूर्व दिशा की ओर हो तो ऐसा भूखंड विकास और वृद्धि करने वाला होता है। 
 
4. आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य और मध्य में नीची भूमि रोगों को उत्पन्न करने वाली होती है। यह गृहकलह और अनावश्यक मानसिक तनाव भी पैदा करती है।
 
5. दक्षिण तथा आग्नेय के मध्य नीची और उत्तर एवं वायव्य के मध्य ऊंची भूमि का नाम 'रोगकर वास्तु' है, जो रोग उत्पन्न करती है। यह मृत्यु कारक भी है। 
 
6. भूमि का ढाल पश्चिम व दक्षिण की ओर हो तो अशुभ होता है। पश्चिम दिशा की ओर भूमि का ढलान धननाशक व दक्षिण दिशा की ओर ढलान नुकसानदायक होता है।
 
नोट- इसका मतलब यह कि दक्षिण और पश्चिम दिशा उत्तर एवं पूर्व से ऊंची रहने पर वहां पर निवास करने वालो को धन, यश और निरोगिता की प्राप्ति होती है। इसके विपरित है तो धन, यश और सेहत को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि किसी वास्तुशास्‍त्री से इस संबंध में जरूर सलाह लें क्योंकि हमें नहीं मालूम है कि आपके घर की दिशा कौन-सी है। दिशा के अनुसार ही ढाल का निर्णय लिया जाता है। यदि आपके मकान की भूमि का ढाल वास्तु अनुसार है तो निश्चित ही वह आपको मालामाल बना देगा। लेकिन यदि वास्तु अनुसार नहीं है तो वह आपको कंगाल भी कर सकता है।
 
क्यों रखते हैं भूमि का ढाल उत्तर की ओर?
1. सूरज हमारी ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है अत: हमारे वास्तु का निर्माण सूरज की परिक्रमा को ध्यान में रखकर होगा तो अत्यंत उपयुक्त रहेगा।
 
2. सूर्य के बाद चंद्र का असर इस धरती पर होता है तो सूर्य और चंद्र की परिक्रमा के अनुसार ही धरती का मौसम संचालित होता है। 
 
3. उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव धरती के दो केंद्रबिंदु हैं। उत्तरी ध्रुव जहां बर्फ से पूरी तरह ढंका हुआ एक सागर है, जो आर्कटिक सागर कहलाता है वहीं दक्षिणी ध्रुव ठोस धरती वाला ऐसा क्षेत्र है, जो अंटार्कटिका महाद्वीप के नाम से जाना जाता है। ये ध्रुव वर्ष-प्रतिवर्ष घूमते रहते हैं। दक्षिणी ध्रुव उत्तरी ध्रुव से कहीं ज्यादा ठंडा है। यहां मानवों की बस्ती नहीं है। इन ध्रुवों के कारण ही धरती का वातावरण संचालित होता है। उत्तर से दक्षिण की ओर ऊर्जा का खिंचाव होता है। शाम ढलते ही पक्षी उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हुए दिखाई देते हैं। अत: पूर्व, उत्तर एवं ईशान की और जमीन का ढाल उत्तम माना जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रत्नों से भी संभव हैं कई बीमारियों के उपचार, जानिए नवग्रहों के प्रमुख रत्न