सुबह उठकर हमेशा कुछ अपशगुन देखने से बचना चाहिए। जब सारा जगत सो रहा होता है तो वह काल संधि का काल होता है। इसलिए वास्तुशास्त्र में सुबह उठने के नियम बताए गए हैं।
रात और दिन या दिन और रात जहां मिल रहे होते हैं, उसे संधि कहते हैं। ऐसे काल में हमारा मस्तिष्क बहुत ही संवेदनशील होता है। ऐसे में कुछ बुरी और नकारात्मक कार्य करने और चीजों को देखने से बचना चाहिए।
कई लोगों की आदत होती है कि सुबह उठते ही वे आईना देखने लगते हैं, जो कि वास्तुशास्त्र के अनुसार शुभ नहीं होता है। ऐसा करने से दिनभर आप पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव रह सकता है।
वास्तु शास्त्र में सुबह उठने के नियम
सुबह उठकर ऐसे व्यक्ति, पशु का चेहरा देखने से बचें जिससे आपके मन में बुरे भाव आते हो।
सुबह उठते ही मस्तिष्क पर अधिक जोर न दें। अखबार पढ़ने और टीवी देखने के कार्य कुछ देर दिमाग को आराम देकर करें।
सुबह उठते ही किसी ऐसे पशु का नाम नहीं लेना चाहिए जो अपशगुन हो। जैसे- बंदर, कुत्ता या सूअर।
सुबह उठते ही किसी के रोने की आवाज सुनना अपशगुन होता है। इसलिए टीवी पर भी रोने-धोने के कार्यक्रम न देखें।
सुबह-सुबह तेल के बर्तन,सुई-धागे जैसी चीजों को देखना शुभ नहीं माना जाता है।
सुबह उठते ही रात की किसी बात पर झगड़ा करने से बचना चाहिए।
सुबह उठकर उगते सूर्य को देखें और प्रणाम करें।
सुबह उठकर घर में या दफ्तर जाकर लोगों से कठोर भाषा में बात न करें।
सुबह उठते ही भगवान का नाम लें।
सुबह उठकर कुलदेवता को नमन कर हर दिन की शुरुआत अच्छी होने की कामना करें।
सुबह उठते ही कम्प्यूटर, मोबाइल पर व्यस्त न हों कुछ देर सूर्य की किरणों को देखें।
सुबह बिना शौच जाए भोजन न करें।
सुबह उठकर मंजन करें, नहाए फिर भगवान से प्रार्थना करें। इससे जीवन सफल बनता है।
सुबह उठकर अपने ईष्टदेव की पूजा या प्रार्थना करें।
सुबह उठकर चिड़ियों की चहचहाहट या बच्चों की किलकारी सुनना शुभ होता है।