अधिकांश घरों में तिजोरी यानी धन रखने की अलमारी अवश्य होती है। वास्तु बताता है कि अगर तिजोरी को सही दिशा और सही मुहूर्त में रखा जाए तो धन की आवक में कई गुना वृद्धि हो सकती है। आइए जानें तिजोरी के संबंध में जरूरी बातें...
तिजोरी के कमरे में तिजोरी दक्षिण दीवार से कम से कम एक इंच आगे की तरफ और आग्नेय और नैऋत्य कोनों को छोड़कर रखनी चाहिए। उसका पीछे का हिस्सा दक्षिण की तरह होना चाहिए एवं दरवाजा उत्तर की तरफ खुलना चाहिए। तिजोरी के कमरे में सिर्फ एक ही प्रवेशद्वार होना चाहिए और वह दो किवाड़ों का बनाना चाहिए। इस कमरे में आग्नेय, नैऋत्य, वायव्य तथा दक्षिण दिशा में कभी दरवाजा नहीं होना चाहिए।
प्रमुख निवास स्थान के उत्तरी हिस्से में कुबेर स्थान होने के कारण तिजोरी रखने का कमरा भी उत्तरी हिस्से में करना फायदेमंद है। बैंक में स्ट्रांग रूम भी बैंक भवन के उत्तर की ओर होना चाहिए। तिजोरी के कमरे में तिजोरी दक्षिण दीवार से कम से कम एक इंच आगे की तरफ और आग्नेय और नैऋत्य कोनों को छोड़कर रखनी चाहिए। उसका पीछे का हिस्सा दक्षिण की तरफ होना चाहिए एवं दरवाजा उत्तर की तरफ खुलना चाहिए। तिजोरी के कमरे में सिर्फ एक ही प्रवेशद्वार होना चाहिए और वह दो किवाड़ों का बनाना चाहिए। इस कमरे में आग्नेय, नैऋत्य, वायव्य तथा दक्षिण दिशा में कभी दरवाजा नहीं होना चाहिए।
तिजोरी के कमरे के दरवाजे अगर पूर्व या उत्तर दिशा में होते हैं तो अत्यंत शुभ हैं। उत्तर की तरफ के दरवाजे के सामने तिजोरी नहीं रखनी चाहिए, कुछ हटकर रखना शुभ है। तिजोरी के कमरे में पूर्व या उत्तर की तरफ कुछ ऊंचाई पर एक छोटी सी खिड़की अवश्य हो। यह कमरा (तिजोरी का) चौकोर या आयताकार होना चाहिए। इसकी ऊंचाई अन्य कमरों से कम नहीं होनी चाहिए। 1.5 ऊंचाई की (कम से कम) दहलीज भी होनी चाहिए।
तिजोरी के सामने भगवान की कोई तस्वीर नहीं होनी चाहिए। पूर्व या पश्चिम की दीवार पर तस्वीर टंगी रह सकती है। ईशान्य कोने में रहने वाली तिजोरी से अर्थनाश होता है। आग्नेय कोने की तिजोरी से बेमतलब खर्च होता है। नैऋत्य कोने की तिजोरी से कुछ समय पैसा अच्छी तरह से इकट्ठा होता है, खर्च भी हो जाता है या चोरी हो जाता है। यदि तिजोरी वायव्य दिशा में रखी हुई है और उसका मुंह आग्नेय दिशा में खुलता है तो पैसा टिक नहीं सकता। तिजोरी अपने पैरों पर खड़ी होनी चाहिए। जिस तिजोरी या अलमारी के पैर नहीं हो, वहां पैसा नहीं रखना चाहिए।
असमतल धरातल पर तिजोरी न रखी जाए। सपाट भाग पर तिजोरी रखनी चाहिए। वह किसी भी दिशा में झुकी न हो। तिजोरी को हिलने से बचाने के लिए ईंट-पत्थर के बजाय लकड़ी का सहारा लगाना चाहिए। किसी धातु के ऊपर भी तिजोरी रखना शुभ नहीं है। तिजोरी में जहां तक संभव हो, कपड़े, बर्तन, फाइलें इत्यादि नहीं रखनी चाहिए। पैसों के खानों पर बोझ नहीं रखना चाहिए। यदि अलमारी हो तो उसके मध्य भाग में या ऊपर के भाग में तिजोरी बनाना चाहिए (लॉकर आदि बनाए जाएं)। तिजोरी के खाने में सुगंधित द्रव्य जैसे स्प्रे, अगरबत्ती नहीं रखनी चाहिए। वे शुभ व्यक्तियों के लिए रुकावट पैदा करती हैं।
तिजोरी रखने के शुभ मुहूर्त : श्रवण, धनिष्ठा, स्वाति, पुनर्वसु, शतभिषा, उत्तरा, रोहिणी ये नक्षत्र शुभ हैं। वारों में सोम, बुध, बृहस्पतिवार और शुक्रवार उत्तम हैं। तिजोरी के कमरे का सर्वोत्तम रंग पीला है। इससे धन वृद्धि होती है। उत्तर दिशा का प्रमुख देवता कुबेर है। कुबेर का ग्रह बुध है अत: कृष्णपक्ष के बुधवार को सुबह या शाम तिजोरी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। मार्गशीर्ष महीने में भी प्रत्येक बृहस्पतिवार और शुक्रवार को तिजोरी की पूजा होनी चाहिए। तिजोरी के किसी भी तरफ या किसी भी कोने में कहीं पर भी मकड़ी का जाला नहीं होना चाहिए। इससे गरीबी आती है। तिजोरी के कमरे की टाइल्स का रंग काला, लाल या नीला नहीं होना चाहिए। अंत में किसी भी बीम के नीचे तिजोरी नहीं रखनी चाहिए।
- पं. परमानंद शर्मा 'नंद'