वास्तु अनुसार कुछ बातों को ध्यान में रखकर स्टडी रूम यानी अध्ययन कक्ष में सकारात्मक ऊर्जा की बयार बहा सकते हैं जिससे हर क्षेत्र के विद्यार्थियों को उच्चतम सफलता मिल सकती है। जैसे :-
- अध्ययन कक्ष को पूजा कक्ष से सटा कर और दरवाजे की स्थिति उत्तर-पूर्व या पश्चिम में रखें। किन्तु दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम में न रखें इससे भ्रम उत्पन्न होते हैं।
- चौकोर टेबल का प्रयोग करें जो चारों पांवों में समानता रखती हो।
- टेबल को दक्षिण-पश्चिम या दरवाजे के सामने न लगाएं। इससे बुद्धि का पतन होता है।
- टेबल को दरवाजे या दीवार से न सटाएं। जिससे विषय याद रहेगा, रूचि बढ़ेगी।
- लाइट के नीचे या उसकी छाया में टेबल सेट न करें। इससे अध्ययन प्रभावित होगा।
- उत्तर-पूर्व या पूर्व वाले कमरे में अध्ययन कक्ष की व्यवस्था करें यह शुभ, प्रेरणाप्रद रहेगा।
- दक्षिण व दक्षिण-पूर्व दिशा वाले कमरे में अध्ययन कक्ष की व्यवस्था से बचें, यह अशुभ व तनावयुक्त स्थिति दे सकता है।
- कोशिश करें कि नार्थ-वेस्ट में बैठकर भी अध्ययन न करें। इससे पढ़ाई में मन नहीं लगेगा, एकाग्रता भंग होगी।
- उत्तर-पूर्व में मां सरस्वती, गणेश की प्रतिमा और हरे रंग की चित्राकृतियां लगाएं।
- अध्ययन कक्ष में शांति और सकारात्मक वातावरण होना चाहिए। शोरगुल आदि न हो।
- स्मरण व निर्णय शक्ति हेतु दक्षिण में टेबल सेट कर उत्तर या पूर्व की ओर मुंह कर अध्ययन करें। उत्तर-पूर्व विद्यार्थी को योग्य बनाने में सहायक होती है।
- अध्ययन कक्ष के मध्य भाग को साफ व खाली रखें। जिससे ऊर्जा का संचार होता रहेगा।
- अगर मन उचटता हो, तो बगुले का चित्र लगाना चाहिए, जो ध्यान की चेष्टा में हो।
- लक्ष्य प्राप्ति हेतु एकलव्य, अर्जुन की चित्राकृतियां लगानी चाहिए।
- टेबल पर सफेद रंग की चादर बिछाएं। विद्या की देवी मां सरस्वती को प्रणाम कर अध्ययन शुरू करें।
- जो छात्र घर से बाहर या हॉस्टल आदि में रहते हैं। जिनके लिए यह सब संभव नहीं हो वह पूर्व दिशा की तरफ मां सरस्वती का चित्र या नृत्य करते- लिखते हुए गणेश जी का चित्र स्थापित करें और उन्हें अध्ययन के पहले और बाद में प्रणाम करें तो एनर्जी लेवल बढ़ेगा।