भवन बनाते समय दरवाजे, खिड़की और अन्य जगहों पर लकड़ी का प्रयोग होता है। भवन बन जाने के बाद आप उसमें लकड़ी वाले फर्नीचर भी खरीदकर रखते हैं। आओ जानते हैं कि वास्तु के अनुसार ही लकड़ी का चुनाव करना क्यों जरूरी है।
1. घर में अलग-अलग किस्म की लकड़ियां कई तरह बाधाओं को जन्म दे सकती है। इसीलिए लकड़ी का चुनाव जरूरी है। वास्तु के अनुसार प्राय: शीशम, सगौन या आम की लकड़ी अच्छी होती है। पनस, सुपारी, नान, साल और अखरोट की लकड़ी का भी उपयोग किया जाता है।
2. जो लकड़ी सबसे ज्यादा मजूबूत हो उसे दरवाजों और खिड़कियों के लिए प्रयोग करना चाहिए। घर के द्वार और चौखट में भूलकर भी आम और बबूल की लकड़ी का उपयोग न करें।
3. कुछ वास्तु ग्रंथों में बबूल की लकड़ी को अच्छा नहीं माना जाता, किंतु मजबूती के कारण इसे ग्राह्य मान लिया गया है परंतु यह सही नहीं है। कांटे तथा दूधवाले पेड़ों की लकड़ी का उपयोग वर्जित माना है। दूध वाले वृक्षों गूलर, बरगद और आक आदि की लकड़ी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
4. सामान्य नियम यह है कि मुख्य द्वार की चौखट और उसके साथ लगने वाले दरवाजे एक ही प्रकार के वृक्ष की लकड़ी के होना चाहिए। यही नियम घर में लगने वाली खिड़कियों आदि के लिए भी लागू होता है।
5. जिस नक्षत्र में आपका जन्म हुआ है, उससे संबंधित वृक्ष आपका कुल वृक्ष है। वह कल्प वृक्ष बनकर आपको सुख प्रदान कर सकता है। अत: यदि किसी व्यक्ति को घर में पौधे लगाने का शौक है तो उसे यह जानकर ही पौधा लगाना चाहिए।
6. किसी भी घर की अच्छी फर्निशिंग को फर्नीचर का सामंजस्य ही अच्छा लुक प्रदान करते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि कोई भी खरीददारी से पूर्व फर्नीचर की जांच अच्छी तरह कर लें। लकड़ी के रंग-रूप में ढाले गए मूंगे की चट्टान, पुष्ठे, प्लायवुड, प्लास्टिक और चमड़ा आदि को मिलाकर बनाए गए कई अन्य सामान बाजार में उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
7. फर्नीचर यदि शीशम, सगौन या अखरोट के वृक्ष के है तो बेहतर होगा। फर्नीचर के कोने नुकिले नहीं होना चाहिए गोलाकार हो तो बेहतर होगा।