राजा भोज ने अपने श्रेष्ठ विद्वानों की सहायता से प्रजा की सुख-समृद्धि की कामना से 'समरांगन वास्तुशास्त्र' के रूप में वास्तु के नियमों को संग्रहीत किया है। समरांगन वास्तुशास्त्र में घर के पास मंदिर के होने के बारे में लिखा है। यदि मंदिर हो तो किस दिशा में किस देवता का मंदिर हो? यदि ऐसा नहीं है तो उन्होंने इसका समाधान भी बताया है।
- घर की जिस दिशा में शिव मंदिर हो, उस दिशा की ओर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने से वास्तुदोष दूर हो जाता है। लेकिन यदि शिव मंदिर घर के ठीक सामने हो, तो घर की मुख्य दहलीज में तांबे का सर्प गाड़ देना चाहिए।
- यदि भगवान भैरवनाथ का मंदिर यदि ठीक सामने हो तो कौवों को अपने मुख्य द्वार पर रोज रोटी खिलानी चाहिए।
- यदि किसी देवी मंदिर के कारण उत्पन्न वास्तुदोष है तो उस देवी के अस्त्र के प्रतीक की स्थापना प्रमुख द्वार पर करनी चाहिए अथवा उसका चित्र लगाया जा सकता है। यदि देवी प्रतिमा अस्त्रहीन हो, तो देवी के वाहन का प्रतीक द्वार पर लगाएं।
- भगवती लक्ष्मी का मंदिर हो, तो द्वार पर कमल का चित्र बनाएं या भगवान विष्णु का चित्र लगाकर उन्हें नित्य कमल गट्टे की माला पहनाएं।
- यदि मंदिर भगवान विष्णु का हो, तो भवन के ईशान कोण में चांदी या तांबे के आधार पर दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना कर उसमें नियमित जल भरना व उसका पूजन करना चाहिए। यदि प्रतिमा चतुर्भुज की हो, तो मुख्य द्वार पर गृहस्वामी के अंगूठे के बराबर पीतल की गदा भी लगानी चाहिए।
- यदि भगवान विष्णु के अवतार राम का मंदिर हो, तो घर के मुख्य द्वार पर तीरविहीन धनुष का दिव्य चित्र बनाना चाहिए।
- भगवान कृष्ण का मंदिर हो, तो ऐसी स्थिति में एक गोलाकार चुंबक को सुदर्शन चक्र के रूप में प्रतिष्ठित करके स्थापित करना चाहिए।
- यदि किसी अन्य अवतार का मंदिर हो, तो मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाना चाहिए। पंचमुखी हनुमान का एक अच्छा-सा चित्र सभी तरह के वास्तु का शमन कर देता है।
अत: यह सिद्ध हुआ कि घर मंदिर के पास हो तो डरने की जरूरत नहीं, बल्कि मंदिर के पास ही घर बनाना चाहिए। बस, घर बनाते वक्त किसी वास्तुशास्त्री से मिलकर यह जान लें कि घर मंदिर के किस दिशा में बनाएं, कितनी दूरी पर बनाएं या यदि कोई छाया वेध हो रहा है तो उसका क्या समाधान है? यह जान लें।
दरअसल, मंदिर के पास आपका घर होने से आपके भीतर आध्यात्मिक बल बढ़ेगा और यह आपको हर संकट से बचाएगा।