आजकल हम अपनी प्राचीनतम सभ्यता और संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। जिसका परिणाम हमें जाने-अनजाने बुरा ही भोगना पड़ता है।
वास्तु की नजर से गौर करें तो हम पाएँगे कि आजकल जितने भी घर बनाए जाते हैं वे सिंगल दरवाजे वाले होते हैं। डबल दरवाजे वाले घर बनने लगभग बंद से हो गए है। घर की चौखट भी डिजाइन वाली होती है, न ही दहलीज होती है।
आपने मंदिरों में देखा होगा, वहाँ सिंगल दरवाजे नहीं होते। कोई भी मंदिर में सीधे प्रवेश नहीं कर पाता, मंदिरों में दहलीज लाँघ कर ही अंदर जाया जाता है।
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यदि हम अपने घर के मुख्य द्वार को दो पल्ले वाला बनाएँ और दहलीज भी लगाएँ तो हम अनेक कुप्रभाव को रोक सकते हैं। कोई भी व्यक्ति हमारे घर में प्रवेश करे तो दहलीज लाँघकर ही आ पाए। सीधे घर में प्रवेश न करें। पहले दहलीज पूजन का चलन था।
अतः हम भी अपने घरों में दहलीज बना लें तो कई अशुभ परिणाम से बच सकते हैं।