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वट सावित्री, अमावस्या और शनि जयंती के मंत्र एक साथ एक जगह पर

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शुक्रवार, 19 मई 2023 को वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2023), ज्येष्ठ अमावस्या (amavasya) और शनि जयंती (Shani Jayanti 2023) का पावन पर्व मनाया जा रहा है। आज के दिन त्रिवेणी संयोग बन रहा है और इस खास दिन का लाभ उठाने के लिए कुछ खास मंत्रों का जाप करने का विशेष महत्व है। 
 
विष्णु पुराण के अनुसार अमावस्या का उपवास रखने से पितृदेवता के साथ-साथ सूर्य, अग्नि, वायु, ब्रह्मा, श्री‍हरि विष्णु तथा भगवान शिव और शनिदेव प्रसन्न होते हैं तथा हर तरह से संपन्न और सुखी रहने का आशीर्वाद देते हैं। यदि आप भी इस खास योग का लाभ उठाना चाहते हैं तो आज इन मंत्रों का जाप करना ना भूलें। 

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 अमावस्या के चमत्कारिक मंत्र- Mantras 
 
सूर्य मंत्र- ॐ घृणी सूर्याय नमः 
 
गंगा स्नान मंत्र- ।।गंगे च यमुनेश्चैव गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू।।
 
अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीर् अवन्तिका, पुरी, द्वारावतीश्चैव: सप्तैता मोक्षदायिका।।

ॐ पितृभ्य: नम:' 
 
सूर्य मंत्र- ॐ रं रवये नमः 
 
अमावस्या मंत्र- 'ॐ पितृ देवाय नम:' 
 
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:'
 
अमावस्या मंत्र- ॐ पितृ दैवतायै नम:
 
'ॐ विष्णवे नम:', 

पितृ मंत्र- ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
 
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।।
 
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
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वट सावित्री मंत्र- 

उपवास संकल्प मंत्र-
मम वैधव्यादिसकलदोषपरिहारार्थं ब्रह्मसावित्रीप्रीत्यर्थं, 
सत्यवत्सावित्रीप्रीत्यर्थं च वटसावित्रीव्रतमहं करिष्ये।
 
सावित्री अर्घ्य मंत्र : 
अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते। 
पुत्रान्‌ पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।।
 
वटवृक्ष प्रार्थना मंत्र- : 
यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले। 
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।।

 वट सावित्री व्रत मंत्र- ॐ नमो ब्रह्मणा सह सावित्री इहागच्छ इह तिष्ठ सुप्रतिष्ठिता भव।
 
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'श्री शनिदेव जयंती के मंत्र
 
श्री शनिदेव मंत्र- 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:'
 
शनि मंत्र- 'ॐ शं शनिश्चराय नम:'

नीलाजंन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम 
छाया मार्तंड संभूतं तम नमामि शनैश्चरम... 

 
पीपल पूजा मंत्र- आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्।
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
विश्वाय विश्वेश्वराय विश्वसम्भवाय विश्वपतए गोविन्दाय नमो नम:।
 
श्री हनुमान मंत्र- 'ॐ हं हनुमते नम:।' 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। वेबदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता है। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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