साधु-संत भगवा रंग के वस्त्र ही क्यों पहनते हैं?- स्वामी मुकुंदानंद | Interview of Swami Mukundananda
स्वामी मुकुंदानंद जी एक जाना पहचाना नाम है। वे पिछले 20 वर्षों से जीवन परिवर्तन कर देने वाले अद्भुत प्रवचन दे रहे हैं। हमारा सौभाग्य है कि आज स्वामीजी 'वेबदुनिया' में पधारे और हमने उनसे जीवन बदल देने वाले कुछ सवाल पूछे। तो आइये मिलते हैं स्वामी मुकुंदानंदजी से।
वेबदुनिया : सारे स्वामी पीले या भगवा वस्त्र पहनते हैं। संतों को यूनिफॉर्म की जरूरत क्यों है? क्या जींस-टीशर्ट पहनने वाला संत नहीं हो सकता?
स्वामी मुकुंदानंद : पुन: आपने एक बड़ा रोचक प्रश्न किया है। ये बात तो सही है कि स्वामी होना या नहीं होना ये कपड़ों से निर्धारित नहीं होता है। यह तो रंगे हुए अंत:करण पर डिपेंड करता है। अब गेरुआ रंग क्यों? देखिए, हमारा जो राष्ट्रीय फ्लैग है तिरंगा झंडा। हम जब बचपन में सीखते थे कि 3 रंगों का महत्व क्या है तो उस समय ऐसा बताया जाता था कि सफेद ये पवित्रता का प्रतीक है और हरा रंग ये कृषि का प्रतीक है। 50 साल पहले जो लोग बताते थे और गेरुआ ये त्याग और वैराग्य का प्रतीक है, जो हमारी भारतीय संस्कृति का एक अंग है।
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