सत्तर, अस्सी और नब्बे के दशक में मुंबई पर अंडरवर्ल्ड का खौफनाक साया था। अंडरवर्ल्ड के भाई और डॉन इतने पॉवरफुल हो गए थे कि एक तरह से समानांतर सरकार चल रही थी और इनसे निपटना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर था। इनका दबदबा इतना था कि आम लोग डर कर रहते थे। अंडरवर्ल्ड से कई कहानियां निकली जिन पर ढेर सारी फिल्में बनीं, लेकिन अभी भी कुछ अनकही कहानियां बची हैं।
नेटफ्लिक्स पर डॉक्यूमेंट्री आई है जिसका नाम है 'मुंबई माफिया- पुलिस वर्सेज़ द अंडरवर्ल्ड' जिसका निर्देशन किया है- राघव डार और फ्रांसिस लोंगहर्स्ट ने। डॉक्यूमेंट्री सच के ज्यादा करीब होती हैं क्योंकि फिल्म की तरह इसे ग्लोरीफाई कर नहीं दिखाया जाता।
यह डॉक्यूमेंट्री पुलिस के नजरिये से दिखाई गई है कि कैसे पुलिस ने इस कठिन चुनौती से पार पाया। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा का नैरेशन है जिन्होंने कई गैंगस्टर्स का एनकाउंटर किया था। चूंकि वे फील्ड में रहे हैं, रणनीति बनाई हैं और खतरनाक गैंगस्टर्स का सामना किया है इसलिए उनकी बातें बेहद विश्वसनीय और सटीक लगती हैं।
दाउद और डी-कंपनी के उदय के बाद स्थिति बेहद गंभीर हो गई थी। आए दिन धमकी, हत्या, लूटपाट आम बात हो गई थी और कुछ पुलिस ऑफिसर्स ने मामले को अपने हाथ में लेकर गंदगी को समाप्त करने का निश्चय किया था। प्रदीप शर्मा के अलावा रविन्द्र आंग्रे और आफताब अहमद खान जैसे ऑफिसर्स की भी चर्चा है। पत्रकार हुसैन ज़ैदी जिन्होंने इस विषय पर काफी लिखा है उनके विचार भी लिए गए हैं और उनकी बातें सुनना भी अच्छा लगता है।
यह डॉक्यूमेंट्री सवाल भी खड़े करती है क्योंकि बातें उठनी लगी थीं कि एनकाउंटर करने वाले अपने हित साधने लगे थे और उनके काम पर उंगली भी उठने लगी थी। इस बात को भी समेटा गया है।
रियल फुटेज और फोटो इस डॉक्यूमेंट्री को धार देते हैं। मुंबई की खौफनाक स्थिति और पुलिस की इससे निपटने की रणनीति को यह अच्छे से पेश करती है।
मुंबई माफिया- पुलिस वर्सेज़ द अंडरवर्ल्ड आम बॉलीवुड फिल्मों की तरह नहीं है जिनमें इस विषय को अतिरंजित तरीके से पेश किया था बल्कि यह शोध से तैयार किया गया सूचनात्मक वृत्तचित्र है जो मुंबई के खौफनाक अतीत को 87 मिनट में पेश करता है।
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निर्देशक : राघव डार, फ्रांसिस लोंगहर्स्ट
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नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध
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1 घंटा 27 मिनट
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