अंग्रेजी अखबार ‘द एशियन एज’ ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि केंद्र सरकार धर्म के आधार पर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की मैपिंग करने का प्लान बना रही है। यह खबर तब सामने आई, जब कई भाजपा नेता भारत में फैल रहे कोरोना वायरस के मामलों का जिम्मेदार मुस्लिम समुदाय को ठहरा चुके हैं। आइए जानते हैं इस दावे में कितनी सच्चाई है।
क्या है सच-
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने धर्म के आधार पर कोविड-19 रोगियों की मैपिंग की बात से इनकार किया है और इस संबंध में किसी भी खबर को निराधार, गलत और गैर-जिम्मेदार करार दिया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कोरोना मरीजों के धर्म-आधारित मैपिंग वाली मीडिया रिपोर्टों पर एक प्रश्न के जवाब में कहा, “कोई भी खबर जो यह कहती है गलत है। यह बहुत ही गैर-जिम्मेदाराना खबर है, सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कहा है कि कोई भी फर्जी खबर प्रकाशित नहीं की जानी चाहिए, और तथ्यों की जांच करने के बाद खबर प्रकाशित की जानी चाहिए। हमें भय नहीं फैलाना चाहिए। हमें इस बीमारी से मिलकर लड़ना चाहिए। मेरा अनुरोध है कि किसी को भी तथ्यविहीन खबरों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि कोरोना के प्रसार का नस्ल, धर्म और क्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं है।