नए साल में रायबरेली के रामजानकी मंदिर के पुजारी का शव मंदिर के गेट पर लटका मिला था। इस मौत को सोशल मीडिया साइट्स पर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। मंदिर के गेट पर लटके पुजारी के शव की तस्वीर शेयर करते हुए यह लिखा जा रहा है कि जिहादियों ने रामजानकी मंदिर के एक और पुजारी की हत्या कर दी है। मैसेज में आगे दावा किया गया है कि जिहादियों ने पहले कई बार मंदिर और भजन-आरती बंद करने के लिए धमकी दी थी।
वायरल पोस्ट में क्या है?
‘उसी मठ में एक और सन्यासी की हत्या ! जहाँ पहले भी जेहादियों ने सन्यासियों की हत्यायें की थीं । उन्चाहार, रायबरेली के श्री राम जानकी मन्दिर के पुजारी की हत्या कर टांग दिया ! जेहादियों ने पहले कई बार ह्त्या की धमकी दी थी कि यदि मंदिर और भजन आरती बंद नहीं की तो मार देंगें।’- कुछ इसी तरह के मैसेज के साथ फेसबुक और ट्विटर पर कई यूजर्स यह दावा कर रहे हैं कि पुजारी की हत्या जिहादियों ने की है। कथित रूप से कट्टर हिंदूवादी ‘जिहादी’ शब्द का इस्तेमाल अक्सर मुस्लिम समुदाय के संदर्भ में करते आए हैं।
क्या है सच?
जब हमने इस खबर की पड़ताल की, तो हमें पता चला कि रायबरेली के मंदिर के पुजारी की हत्या में किसी भी मुस्लिम का हाथ नहीं था। कई मीडिया हाउस ने इस घटना पर खबर छापी थी। साथ ही, रायबरेली पुलिस ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से प्रेस नोट को ट्वीट कर आरोपियों के नाम की सूची जारी की है। प्रेस नोट के अनुसार, कुल छह लोग पकड़े गए हैं और उनमें से कोई भी मुस्लिम समुदाय का नहीं है।
क्या है पूरा मामला?
रायबरेली में ऊंचाहार कोतवाली क्षेत्र के बाबापुरवा स्थित रामजानकी मंदिर के महंत बाबा प्रेमदास की 1/2 जनवरी की मध्य रात्रि में हत्या कर दी गई थी और शव को मंदिर के मुख्य द्वार पर लटका दिया गया। मंदिर की जमीन को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था। मंदिर की जमीन पर पंचशील महाविद्यालय के प्रबंधक बीएन मौर्य ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा था।