दुनियाभर में कोरोना महामारी का प्रकोप जारी है। दुनिया के कई देश और कंपनियां इस वायरस की वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक और माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स की संस्था बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन भी कोरोना की वैक्सीन बनाने की रेस में हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर एक दावा तेजी से फैल रहा है कि बिल गेट्स कोरोना की वैक्सीन के बहाने लोगों के शरीर में चिप लगाने की साजिश रच रहे हैं।
क्या है वायरल-
सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि बिल गेट्स कोरोना वैक्सीन के जरिये लोगों के शरीर में चिप लगाएंगे। चिप लगाने की मंशा पर भी कई तरह के दावे हैं। किसी ने दावा किया कि गेट्स जनसंख्या नियंत्रण के लिए ऐसा कर रहे हैं। तो किसी ने माना है कि निजी जानकारी जुटाने के लिए यह किया जा रहा है।
क्या है सच-
वायरल दावा फर्जी है। मार्च के महीने में बिल गेट्स का एक बयान आया था कि टेस्टिंग के दौरान लोगों को डिजिटली सर्टिफाइड किया जाएगा। इस बयान के बाद ही अफवाहें फैलने लगीं। दरअसल, 19 मार्च, 2020 को बिल गेट्स ने अपने ब्लॉग ‘गेट नोट्स’ के क्वेश्चन-आंसर सीरीज के तहत कुछ सवालों के जवाब दिए। एक जवाब में उन्होंने कहा था कि हमारे पास कुछ डिजिटल सर्टिफिकेट्स हैं। जिनसे यह आकलन हो सकेगा कि किसका टेस्ट हुआ है किसका नहीं। भविष्य में जब वैक्सीन बनती है तो इससे यह भी आकलन हो सकेगा कि किसे वैक्सीन लग चुकी है और किसे नहीं। इस जवाब में चिप का कोई जिक्र नहीं था।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में वैज्ञानिकों की टीम की सदस्य एना जेकेलनेक ने
बीबीसी से बातचीत में बताया कि इस टेक्नोलॉजी का चिप से कोई संबंध नहीं है। यह सिर्फ एक इनविजिबल टैटू की तरह होगा। साथ ही उन्होंने बताया कि इस टेक्नोलॉजी के जरिए किसी की निजी जानकारी नहीं जुटाई जा सकती।
वेबदुनिया की पड़ताल में पाया गया है कि बिल गेट्स द्वारा कोरोना वैक्सीन के बहाने लोगों के शरीर में चिप लगाने का वायरल दावा फर्जी है।