पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज की नज्म ‘हम देखेंगे’ पर इन दिनों काफी विवाद हो रहा है। खबर है कि आईआईटी कानपुर ने एक समिति गठित की है जो यह तय करेगी कि फैज की नज्म हिंदू विरोधी है या नहीं। इस बीच सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेजी से वायरल हो गया कि आईआईटी कानपुर ने ‘अल्लाह के बंदे हँस दे’ गाने के लिए सिंगर कैलाश खेर को नोटिस भेजा है। दावा किया गया है कि गाने में कथित तौर पर सिर्फ मुस्लिमों को हँसने के लिए कहने के कारण आईआईटी कानपुर ने ये नोटिस भेजा है।
क्या है वायरल-
History of India नामक ट्विटर अकाउंट से लिखा गया है- ‘सिंगर कैलाश खेर को आईआईटी कानपुर से उनके गीत ‘अल्लाह के बंदे हँस दे’ के लिए नोटिस मिला, जहां वह कथित तौर पर केवल मुस्लिम लोगों को हँसने के लिए कह रहे हैं।’
इस पोस्ट को लगभग साढ़े तीन हजार बार रीट्वीट किया जा चुका है और नौ हजार लोगों ने इसे लाइक भी किया है।
ट्विटर ही नहीं फेसबुक पर भी कई यूजर्स ने यह मैसेज पोस्ट किया है।
क्या है सच-
यह मैसेज फर्जी है। इसे व्यंग्य के तौर पर किया गया था। जिस History of India ट्विटर अकाउंट से यह मैसेज पोस्ट किया था, उसके प्रोफाइल देखकर पता चलता है कि उससे व्यंग्यात्मक पोस्ट किया जाता है।
साथ ही, हमने इंटरनेट पर भी इस पोस्ट के संबंध में सर्च किया, तो हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली।
वेबदुनिया की पड़ताल में पाया गया है कि आईआईटी कानपुर ने कैलाश खेर को कोई नोटिस नहीं भेजा है। वायरल मैसेज एक व्यंगात्मक ट्वीट था।