इस बार की राम नवमीं पर ठीक वैसे ही नक्षत्र व संयोग बन रहे हैं जैसे भगवान राम के पैदा होने के समय बना था। ऐसा संयोग सालों में एक बार आता है। नक्षत्रों के इस अनोखे संयोग पर यदि भगवान राम की पूजा-अर्चना की जाए तो अत्यधिक पुण्य मिलेगा। पद-प्रतिष्ठा के साथ ही आर्थिक लाभ होगा। कई दिनों से रुके कार्य आसानी से निपट जाएंगे।
पुनर्वशु नक्षत्र, पुष्य योग व सर्वार्थसिद्धि योग
इस संबंध में ज्योतिषी डॉ.दत्तात्रे होसकेरे का कहना है कि अगस्त संहिता में उल्लेखित वर्णन के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमीं को मध्यान्ह काल के समय दशमी युक्त नवमीं में पुनर्वशु नक्षत्र में भगवान राम का जन्म हुआ था। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि जब भी ऐसा संयोग बनता है तो वह रामनवमीं अत्यधिक पुण्य प्रदान करने वाली होती है। 1 अपै्रल रविवार को सुबह 9 बजकर 12 मिनट पर पुनर्वशु नक्षत्र है और नवमीं तिथि दोपहर 2 बजकर 07 मिनट तक है। इसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी। इसी दिन रवि पुष्य योग भी है और सर्वार्थसिद्धि योग का भी संयोग है। यह स्थिति ठीक वैसी ही बन रही है जैसी भगवान राम के जन्म के समय थी। यह संयोग पुण्य प्रदान करने वाला और भगवान राम की पूजा करके समस्त सिद्धियों को प्राप्त करने वाला है। रामनवमीं के दिन इस संयोग में भगवान राम की पूजा करने से जीवन में पद व प्रतिष्ठा तो हासिल होगी ही साथ ही शुक्र के स्वयं की राशि में होने तथा शनि के उच्च के होने से आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।