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आयुषी मालवीय : हर परीक्षा में अव्वल

हमें अपना हुनर मालूम है...

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हमें फॉलो करें आयुषी मालवीय

वृजेन्द्रसिंह झाला

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा।

आयुषी की कामयाबियों की फेहरिस्त देखकर तो ऐसा ही लगता है कि बशीर बद्र का यह शेर उन्हीं के लिए है। उन्होंने जिस तरफ भी रुख किया कामयाबी ने हमेशा उनके कदम चूमे।

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पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाली आयुषी मालवीय ने वर्ष 2010 में सफलता की कहानी गढ़ना शुरू किया, जब मध्यप्रदेश प्री-पॉलिटेक्निक टेस्ट (एमपीपीपीटी) में उन्होंने टॉप पोजिशन (नंबर एक) हासिल की। वर्ष 2011 में भी उन्होंने सफलता के क्रम को जारी रखा और मध्यप्रदेश प्री-एग्रीकल्चर टेस्ट (एमपीपीएटी) में 31वीं रैंक प्राप्त की।

आयुषी रिजनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड (2011-12) में तीसरे स्थान पर रहीं, जबकि इसी वर्ष आईआईटी-जेईई टेस्ट में ‍अखिल भारतीय स्तर पर 460वां स्थान हासिल किया। उनकी कामयाबी का जुनून यहीं नहीं थमा। वर्ष 2011-12 में ही उन्होंने ऑल इं‍‍डिया प्री-मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) में 180वीं रैंक प्राप्त की।

आश्चर्य उस वक्त हुआ जब आयुषी ने बताया कि उन्होंने यह सफलताएं बिना किसी ट्‍यूशन अथवा कोचिंग क्लास के मार्गदर्शन के बिना प्राप्त की हैं। आयुषी ने एआईईई (2011-12) में अखिल भारतीय स्तर पर 136वां तथा मप्र में 9वां हासिल स्थान किया, जबकि इसी साल एमपीपीएमटी में 346वां स्थान प्राप्त किया। एमपीपीईटी में भी उन्होंने कामयाबी के सफर को जारी रखते हुए चौथी रैंकिंग हासिल की। यह अपने आप में अनूठा उदाहरण है, जब किसी लड़की ने मेडिकल, इंजीनियरिंग एवं कृषि क्षेत्रों में सफलताएं अर्जित कीं।

अध्ययन के अलावा ड्राइंग और पेंटिंग में रुचि रखने वाली आयुषी फिलहाल आईआईटी इंदौर में अध्ययनरत हैं और उनका लक्ष्य आईएफएस (भारतीय वन सेवा) बनना है। उनका एम्स के लिए भी चयन हुआ था, जहां उन्हें काउंसलिंग के लिए बुलाया था, लेकिन आईआईटी में प्रवेश के चलते उन्होंने वहां जाना उचित नहीं समझा।

आयुषी स्कूल स्तर पर बेस्ट आर्टिस्ट के खिताब से नवाजी जा चुकी हैं। वक्तृत्व कला में माहिर आयुषी भौतिकी और गणित (इंदौर सहोदय स्कूल कॉम्पलेक्स) के क्षेत्र में कई पुरस्कार जीत चुकी हैं। इतना ही नहीं, 12वीं कक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन (94.4 प्रतिशत) के लिए सीबीएसई द्वारा उन्हें उच्च शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप भी प्रदान की गई। स्कॉलरशिप के रूप में उन्हें चार लाख रुपए (80000 रुपए प्रतिवर्ष) मिलेंगे।

करीब 11 घंटे रोज पढ़ाई करने वाली आयुषी से जब यह पूछा कि वे आईएफएस ही क्यों बनना चाहती हैं तो उन्होंने कहा कि एक तो मेरे कुछ रिश्तेदार इस क्षेत्र में हैं, जिसके चलते इस ओर मेरा आकर्षण बढ़ा साथ ही पर्यावरण को लेकर मेरी चिंता भी मुझे इस ओर जाने के लिए प्रेरित करती है।

उन्हें इस बात का मलाल है कि पढ़ाई की वजह से वह पेंटिंग के लिए वक्त नहीं निकाल पातीं। पूर्व सांसद कन्हैया लाल मालवीय की पोती और ओरियंटल इंश्योरेंस में प्रशासनिक अधिकारी दिनेश मालवीय की बेटी आयुषी डॉ. भीमराव अंबेडकर को अपना आदर्श मानती हैं। उनका मानना है कि डॉ. अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन कमजोर लोगों को आगे बढ़ाने में लगा दिया।

आयुषी को इंदौर की कुछेक कोचिंग क्लासेस ने निशुल्क पढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया था, लेकिन उन्होंने उसे नकार दिया क्योंकि उनका मानना था कि मैं खुद ही कुछ करके बताऊंगी। आयुषी ने अपनी कामयाबियों से साबित कर दिया है कि यदि कोई ठान ले तो बड़ी से बड़ी मंजिल आसानी से हासिल की जा सकती है।

किसी ने कहा भी है....

पंखों से कुछ नहीं होता,
हौसलों से उड़ान होती है।
मंजिलें उन्हें मिलती हैं,
जिनके कदमों में जान होती है।

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