खुशियों और दर्द के बारे में यह कहा जाता है कि 'खुशियाँ' बाँटने से बढ़ती हैं और 'दर्द' बाँटने से कम होता है। तभी तो खुशी के मौके पर 'आमंत्रण' दिया जाता है और दु:ख-तकलीफ में 'खबर' दी जाती है। जब भी हमारे घर-परिवार में कोई शुभ प्रसंग आता है, तब हम अपने मित्रों व रिश्तेदारों को उस प्रसंग में शरीक हेतु आमंत्रित करने निकल पड़ते हैं।
न्यौता, निमंत्रण, तेड़ा आदि शब्द आमंत्रण के ही पर्यायवाची हैं। कल तक शादी-ब्याह में आमंत्रित करने हेतु निमंत्रण पत्र के साथ पधार जो सा, आप शादी में जरूर आना, हमें आपका इंतजार रहेगा आदि शब्दों को मेहमानों के सामने परोसा जाता था तब कहीं जाकर मेहमान आपके घर शादी में आते थे लेकिन अब निमंत्रण पत्र में न्यौता, सम्मान सूचक शब्द आदि को समेट दिया जाता है और कोरियर में निमंत्रण पत्र भेजकर 'आमंत्रण' से इतिश्री कर ली जाती है।
आजकल जब हमारे रहन-रहन के खान-पान के तौर-तरीकों में अभूतपूर्व ढंग से बदलाव आया है, वहीं शादी-ब्याह के निंमत्रण के तरीकों में भी बदलाव आया है। कल तक पीले चावल का शगुन देकर दिया जाने वाला शादी-बयाह का न्यौता अब सीडी व डीवीडी के माध्यम से दिया जाने वाला है।
आधुनिकता के इस दौर में जहाँ हर चीज ने 'आधुनिकता का चोला' पहन लिया है, वहीं इस दौर में 'निमंत्रण पत्र' भी आधुनिक हो गए हैं। यही कारण है कि अब शादी-ब्याह में डेकोरेशन और खान-पान के साथ ही निमंत्रण पत्रों पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है तथा इसके लिए जी-भर के खर्च किया जा रहा है।
शादी की स्मृति है निमंत्रण पत्र : 'शादी' एक ऐसा मौका होता है, जो जीवन में एक बार आता है और यादगार बन जाता है। शादी के बंधन से हम नई जिम्मेदारियों व नवजीवन के बंधन में भी बँध जाते हैं। यह वह मौका है, जब हमारे सारे सगे-संबंधी व मित्रजन हमारी इस खुशी में हमारे साथ होते हैं।
शादी एक बार होती है पर इसकी स्मृतियाँ जीवनपर्यन्त हमारे जेहन में रहती हैं। तभी तो हर कोई चाहता है कि इस समारोह में निमंत्रण से लेकर बिदाई तक सब कुछ इतना खास हो कि सालों तक लोग इस शादी को याद रखें। ऐसा करने के लिए मेहमानों को आमंत्रित करने का ढंग व 'निमंत्रण पत्र' भी खास होना चाहिए। नए दौर के निमंत्रण-पत्र : शादी के निमंत्रण पत्र अब नए कलेवर में हमारे सामने हैं। नए दौर के इन निमंत्रण पत्रों में केवल आयोजनों के मैटर पर ही ध्यान नहीं दिया जाता है बल्कि इसके साथ ही कार्ड के पैटर्न व रंगों पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। यही कारण है कि आज जहाँ एल्बम व किताबनुमा निमंत्रण-पत्रों का चलन है, वहीं इस होड़ में मिनी कार्डों के रूप में निमंत्रण पत्रों का भी अपना ही स्थान है।
पारंपरिक ढंग के निमंत्रण-पत्र : गणपति को शुभ-मंगल कर्ता माना जाता है। कहते हैं निमंत्रण पत्र पर गणेश जी की तस्वीर होने से आपका कार्य निर्विघ्न संपन्न होता है। पारंपरिक लक्ष्मी, गणेश की तस्वीरों वाले कार्ड पहले भी चलन में थे और अब भी चलन में हैं। तब और अब में अंतर बस इतना है कि पहले निमंत्रण-पत्रों पर केवल देवी-देवताओं की तस्वीरे छपी होती थी लेकिन अब निमंत्रण-पत्रों पर लक्ष्मी-गणेश के सोने व चाँदी के सिक्के लगे होते हैं।
कल तक सिल्वर, गोल्डन चमक लगाकर कार्ड को आकर्षक बनाया जाता था और अब कार्ड में असली सोने व चाँदी की जरी लगाकर कार्ड को खूबसूरत बनाया जाता है। यही नहीं आजकल पारंपरिक नक्काशी की डिजाइन तथा ताम्रपत्र सरीके निमंत्रण-पत्रों का भी चलन है।
पीपल व केले के पत्तों के आकार वाले, पत्तल की बनावट वाले, गुलाब के फूल के आकार की कटिंग वाले कार्ड आज भी अपनी एक अलग ही पारंपरिक छाप छोड़ते हैं। इसी के साथ ही निमंत्रण-पत्रों में लाल, नारंगी, पीले व हरे रंग के कार्ड पेपर का प्रयोग इन निमंत्रण पत्रों को उम्दा बनाता है।
कई पृष्ठों वाले निमंत्रण-पत्र : कुछ लोग विवाह में निमंत्रण हेतु बड़े कार्ड पसंद करते हैं। बड़े कार्ड को पसंद करने वालों का तर्क होता हैं कि हमारे निमंत्रण-पत्र में विवाह के चार-पाँच दिन के सभी आयोजनों की विस्तृत जानकारी हो तथा इसमें मामेरे, स्वागत व कन्यादान आदि की रस्मों में भाग लेने वाले किसी भी नाती रिश्तेदार का नाम न छूटे।
यदि कार्ड की साइज बड़ी है तो बेशक आपको आपके पास अपनी पसंद-नापसंद के अनुसार कार्ड को खूबसूरत बनाने के कई सारे विकल्प मौजूद हैं। फिर आप चाहें तो उस निमंत्रण-पत्र में दूल्हा-दुल्हन की छोटी फोटोग्राफ के साथ उनकी शैक्षणिक योग्यताओं की जानकारी भी दे सकते हैं।
इसी के साथ ही बड़े निमंत्रण-पत्रों में आप अलग-अलग रंग के पृष्ठों पर विवाह की हर रस्मों को फोटों के साथ अलग स्थान भी दे सकते हैं। यदि आप चाहें तो माता पूजन के कार्ड का पृष्ठ नारंगी, मेहँदी की रस्म के कार्ड का रंग हरा, फेरे के न्यौते के कार्ड का रंग लाल रखकर कार्ड को और भी आकर्षक बना सकते हैं। परमाल डिजाइन के कार्ड : कल तक राजा-महाराजाओं के संदेश वाहक एक छोटे से डंडे को रोल किए हुए रेशमी कपड़े पर राजा के लिए संदेश या आंमत्रण लेकर आते थे। लेकिन अब इसी पैटर्न पर वैवाहिक कार्डों की छपाई भी होने लगी है तथा इन निमंत्रणों में रंगीन कागज के साथ-साथ सिल्क, रेशम व जूट मटेरियल का इस्तेमाल भी होने लगा है।
जब इन कार्डों पर चमकीले रंगों में निमंत्रण का ब्यौरा लिखा जाता है तब ये कार्ड 'आम होते हुए भी खास' बन जाते हैं। इन कार्ड में कोई इनवेलप नहीं होता है। इसे तो एक छोटे से चमकीले प्लास्टिक या लकड़ी के डंडे पर रोल करके रेशम की डोरी या लच्छे से से लपेटा जाता है। अब इन्हें छोटी सी रंगीन गोलाकार लंबी पन्नी या फिर गोल या चोकोर बॉक्स में पैक कर रिश्तेदारों को प्रेषित किया जाता है। इन कार्डों की कीमत 20 रुपए से लेकर 60 रुपए तक होती है। सीडी व डीवीडी से आमंत्रण : नई टेक्नोलॉजी के इस युग में निमंत्रण के तरीकों में बदलाव आना स्वभाविक है। आजकल 'निमंत्रण' का अर्थ महज 'न्यौता' नहीं बल्कि अपने परिवार के स्टेटस को दिखाना भी है। इसी उद्देश्य से अब विवाह के निमंत्रण-पत्र की जगह विवाह में आमंत्रण की सीडी व डीवीडी तैयार की जाती है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन व उनके परिवार के सदस्यों की जानकारी तथा विवाह के आयोजनों का सिलसिलेवार ब्यौरा भी होता है। हालाँकि ऐसा आमंत्रण महँगा होता है। जिसके लिए आपको 150 रुपए से लेकर 400 रुपए तक भी खर्च करना पड़ सकते हैं।
शादी का आमंत्रण चाहे जैसा भी हो, उसमें प्रेम की महक होना बहुत जरूरी है। यह एक ऐसा अवसर है, जो आपके परिवार में नए सदस्य के आगमन के साथ नई खुशियों का संदेशा भी लाता है। इस खास अवसर के लिए 'शादी का निमंत्रण पत्र' भी ऐसा होना चाहिए कि जो आपकी जेब पर भी भारी न पड़े तथा सालों तक लोग उसकी मिसाल देते रहें।