Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

साहसिक कारनामा: 6 महिला, उफनता समुद्र,1 कश्ती से की दुनिया की सैर

हमें फॉलो करें साहसिक कारनामा: 6 महिला, उफनता समुद्र,1 कश्ती से की दुनिया की सैर
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती...नौसेना की जांबाज महिला अफसरों को सलाम 
 
सामने थी समंदर की उत्ताल तरंगे, उद्दाम लहरें, सनसनाती हवाओं के झोंके... लेकिन वे बढ़ती रहीं.. यह गुनगुनाती हुई कि लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती.... कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.... आप जान ही गए होंगे कि बात यहां किन जाबांज युवतियों की हो रही है।

जी हां, हम बात कर रहे हैं नौसेना की जांबाज महिला अफसरों के उस दल की जिन्होंने छोटी पाल नौका से समुद्र का चक्कर लगाया है और 21 मई को वे लौट आई हैं अपने खूबसूरत लेकिन खतरनाक सफर से.... खुशी और सम्मान की बात यह है कि स्वयं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण उनके स्वागत के लिए पंहुच गई हैं और बांहे फैलाए उन्हें मिल रही हैं। रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी है कि साहसी दल आज गोवा पंहुच गया है। 
 
सफर में मुश्किल तो बहुत होगी, जो तुम चल सको तो चलो .. 
 
देश में ही बनी छोटी पाल नौका आईएनएस तारिणी पर सवार लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी (उत्तराखंड) के नेतृत्व में 6 अधिकारियों के इस दल ने जब ठानी थी तब कोई नहीं जानता था कि क्या होगा लेकिन वे लौटीं और उनके चेहरे की मुस्कान बता रही है कि वे कितने आत्मविश्वास से लबरेज हैं।

रक्षा मंत्री ने गत वर्ष 10 सितंबर 2017 को गोवा से रवाना किया था। 
 
नौसेना की इन 6 महिला अफसरों ने पूरे 254 दिन का सफर कर अपने मुश्किल मुकाम को हासिल किया। 8 महीने चले इस दुर्गम अभियान को दल ने समुद्र के रास्ते ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और मारिशस होते हुए पांच चरणों में पूरा किया है। हर कदम पर समुद्र ने उन्हें चुनौती दी पर वे अपने आपसी सामंजस्य को बनाकर आगे बढ़ती रहीं। 
 
दल ने 5 देशों, 4 महाद्वीपों और 3 महासागरों को पार करते हुए कुल 21 हजार 600 समुद्री मील का सफर तय किया। भूमध्य रेखा क्षेत्र से भी अभियान दो बार गुजरा। तेज समुद्री हवाओं के तड़ातड़ पड़ते थपेड़े भी उनके साहस को डिगा न सके। 
 
अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए समुद्र का माउंट एवरेस्ट कहे जाने वाले दुर्गम समुद्री क्षेत्र केप हॉर्न में जब वे तिरंगा लहरा कर उसे पार कर रही थीं तो उनके रोम-रोम से देशभक्ति का ज्वार उठ रहा था। 
 
यह पहला मौका है जब नौसेना की महिला अधिकारियों ने समुद्र के रास्ते विश्व परिक्रमा पूरी करने का साहसिक कारनामा किया है।

लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी(उत्तराखंड) के नेतृत्व में ले.क.प्रतिभा जामवाल(हिमाचल),ले.क. पी.स्वाति(विशाखापट्टनम),लेफ्टिनेंट ऐश्वर्य बोडापट्टी(हैदराबाद),ले. विजया देवी(मणिपुर),ले.पायल गुप्ता(उत्तराखंड) ने यह कीर्तिमान रच कर देश भर की महिलाओं को गौरवान्वित किया है। 
webdunia
इससे पहले दल की सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा से भी मुलाकात की थी। इनके अभियान को नाविका सागर परिक्रमा नाम दिया गया।  
 
यह एशिया की पहली महिला टीम है जिसने इस मुश्किल लक्ष्य को हासिल किया है। टीम ने उस असंभव को संभव कर दिखाया है जिसकी कल्पना कर के भी हम कांप जाते हैं। जब रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने झंडा दिखाकर दल को रवाना किया था तब उनके भी मन में यही शुभकामनाएं छलछला रही थीं कि यह बहादूर कन्याएं अपने अभियान को सफल कर दुनिया के समक्ष मिसाल कायम करे। वही हुआ भी..
 
यह भारत की पहली महिला सरकम नेवीगेशन है। इसमें केवल महिलाएं ही शामिल थीं। सीधे अर्थो में सरकम नेवीगेशन का मतलब पूरी दुनिया का चक्कर लगाना होता है। इसमें जहां से सफर की शुरुआत होती है, वहीं पर आकर सफर को खत्म करना होता है। इस सफर में करीब 40 हजार किलोमीटर का सफर आठ महीनों में तय किया गया है। इस दौरान दल ने 41 दिन प्रशांत सागर में बेहद कठिन मौसम में गुजारे। 

webdunia
कल्पना भी दुष्कर है कि कैसे उन्होंने अपने सफर को एक दूजे के सहारे पूरा किया। वे जानती थीं कि बीच समंदर में वे न स्त्री हैं ना पुरुष बस एक हौसला है, एक ज़ज्बा है, जोश है, जुनून है और मन का प्रबल विश्वास कि मंजिल तक पंहुचना है। यह सफर कई खट्टी-मीठी यादों के साथ ना सिर्फ उन्हें जहन में कैद रहेगा बल्कि उनके माध्यम से भविष्य की नारी शक्ति के लिए प्रेरणा की गाथाएं भी रचेगा। एक राह जो 'नाविका सागर परिक्रमा' ने सागर के बीच से देश की स्त्री शक्ति के लिए खोली है वह अभी और कीर्तिमान रचेगी, यही मंगलकामना है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बुध का वृषभ राशि में आगमन, क्या होगा आपकी राशि पर असर