कैसे बनें बॉस के चहेते ?
ऑफिस में करें सबके दिलों पर राज़
ऑफिस में पहला कदम रखते ही दिमाग में हलचल शुरू हो जाती है कि हमारा आज का दिन कैसा होगा? दिनभर काम करने के बाद भी यदि जाते-जाते बॉस की डाँट पड़ जाए तो पूरे दिन की मेहनत व हमारा उत्साह खत्म हो जाता है।
'फर्स्ट इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन' के बारे में तो आपने सुना ही होगा।
जब हम ऑफिस में पहला कदम रखते हैं तब हमारी लोगों पर जो छवि पड़ती है उसी के आधार पर हमारे बारे में अटकलें लगाकर हमारा आकलन भी किया जाता है। अत: ऑफिस में पहले दिन से ही हमारा अपने सहकर्मियों व बॉस पर ऐसा प्रभाव पड़ना चाहिए कि उनकी नज़रों में हमारी अच्छी छवि बने।
* हमारा काम बोलता है :-
आदमी की ज़ुबान नहीं उसका काम बोलता है। सत्य भी यही है। प्रोफेशनल लाइफ में हमारी डिग्रियों से ज्यादा हमारे अनुभव व कार्यशैली से हमारी पहचान बनती है।
बॉस की डॉट-फटकार से परेशान रहने वालों के लिए मौन रहना बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है। जब आपकी ज़ुबान खामोश हो जाती है तब आपका काम आपकी पहचान बनाता है।
हर किसी को अपनी गलतियों पर अलग-अलग सफाई देने से अच्छा है कि हम अपने काम में बेहतरी का प्रदर्शन करें, जिससे बॉस के सामने हमारी एक अलग पहचान बने।
* चापलूसी से बचें :-
बॉस के चहेते बनने का सबसे शार्टकट रास्ता उनकी चापलूसी करना है परंतु इससे आप बॉस की नजरों में तो वाहवाही पा लेंगे किंतु अपने सहकर्मियों की नज़रों में 'चापलूस' जरूर कहलाएँगे।
अपने काम से बॉस के चहेते बनना अलग बात होती है और उनकी झूठी तारीफें करके उनके दिल पर राज़ करना अलग।
चापलूसी करने वाले व्यक्ति की हालत बाद में उस 'धोबी के कुत्ते' के समान हो जाती है जिसका अच्छा वक्त बीतने पर उसकी कोई कद्र नहीं करता।
यदि हम ईमानदारी से अच्छा काम कर रहे हैं तो भला कौन हमारी तरक्की को रोकेगा? कभी न कभी तो बॉस को भी हमारे हूनर की पहचान होगी और वो हमारी सच्ची तारीफ करेगा।
* बनावटीपन से बचें :-
कुछ लोग बनावटी जिंदगी जीते हैं। ऐसे लोग जीवन में कभी खुश नहीं रह सकते हैं। आप जैसे हैं वैसा प्रदर्शित करें। हमेशा नार्मल व तनावरहित जिंदगी जिएँ ताकि लोग आपसे खुलकर बात कर सकें।
जिंदगी में सफलता का सूत्र यही है कि मस्त रहो, बिंदास रहो। ऑफिस का तनाव ऑफिस में ही छोड़कर आएँ और ऑफिस के बाहर सारा तनाव भूलकर मस्ती से जिंदगी का लुत्फ उठाएँ।