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दिवाली निकाल गई 'दिवाला'

आम आदमी और दिवाली

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गायत्री शर्मा

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दीपावली एक ऐसा त्योहार है, जो सर्वाधिक खर्चीला होता है। खर्चीला इसलिए क्योंकि इस त्योहार पर घर में रंग-रोगन, साफ-सफाई व नए गहने व वस्त्र खरीदने आदि का कार्य किया जाता है।

यह त्योहार मेल-मिलाप का त्योहार होता है। सभी स्नेहीजन लक्ष्मीपूजा के बाद एक-दूसरे के घर जाकर उन्हें दीपावली की शुभकामनाएँ देते हैं।

लगभग पाँच दिन तक चलने वाले इस त्योहार में मेल-मिलाप का जो दौर शुरू होता है वह लगभग महीनेभर तक चलता है। इन फुर्सत के पलों में हर किसी को अपनों से मिलने की उत्सुकता रहती है।

इस वर्ष दीपावली तो अपने निर्धारित समय पर ही आई परंतु वह हर बार की तरह इस बार लोगों के चेहरों पर खुशियाँ नहीं ला पाई। इसका सबसे प्रमुख कारण 'महँगाई की मार' है। बढ़ती महँगाई के कारण इस बार आम आदमी की दीपावली फीकी सी रही।

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* मिठाइयों की मिठास हुई महँगी :-
महँगाई की मार का पूरा-पूरा असर मिठाइयों के दामों पर भी पड़ा। लक्ष्मीपूजा व अतिथियों के स्वागत में काम आने वाली मिठाई इस बार आम आदमी की पहुँच से दूर हो गई और उसकी जगह वैकल्पिक मिठाई खोपरापाक, चक्की, बर्फी, बेसन के लड्डू आदि ने ले ली।

मिठाइयों में जान डालने वाला मावा इस दीपावली पर 20 से 60 रुपए महँगा होकर 140-180 रुपए प्रति किलो तक बिका। यही मावा पिछले वर्ष दीपावली पर 100-120 रुपए प्रति किलो के भाव से बिका था।

* पटाखों की धमक हुई कम :-
दीपावली पर शगुन के रूप में फोड़े जाने वाले पटाखे इस बार केवल बच्चों को ही रिझा पाए। हर वर्ष की तुलना में इस वर्ष पटाखों के दाम भी महँगाई से प्रभावित हुए।

पटाखों के दाम में इस बार 5 से 10 रुपए की बढ़ोतरी हुई। 'गंगा-जमुना' के नाम से बिकने वाला अनार जो कि गत वर्ष 35 रुपए में बिका था, इस वर्ष 45 रुपए में बिका।

* सोना-चाँदी के दामों ने पलटी मारी :-
आर्थिक मंदी का असर कुछ-दिनों पूर्व तक सोने-चाँदी के दामों में भी दिखने लगा था। उस वक्त यही अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस बार सोना 15000 रुपए प्रति दस ग्राम का आँकड़ा पार कर जाएगा।

इन्हीं अटकलों के चलते लोगों ने कुछ दिनों पूर्व ही 13000 से 12000 रुपए के दाम के बीच इसी आशा में सोना खरीद लिया था कि बाद में इसके दाम और अधिक बढ़ जाएँगे लेकिन दीपावली पर सब कुछ उनकी उम्मीद से परे हुआ।

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दीपावली के दो-तीन पहले ही सोने-चाँदी के दामों ने अचानक पलटी खाई और बुध पुष्य पर 12800 के भाव से बिकने वाला सोना दीपावली के दिन 11300 प्रति‍ दस ग्राम तक आ पहुँचा।

सोने-चाँदी के दामों में इस घटत के बावजूद बाजार में इनकी ब‍िक्री कम ही हुई क्योंकि आम व्यक्ति के पास इन्हें खरीदने इतना पैसा ही नहीं था।

* फलों के दाम भी हुए प्रभावित :-
लक्ष्मीपूजा में अर्पित किए जाने वाले फलों के दाम भी इस वर्ष महँगाई की मार का शिकार हुए। आम दिनों में 50 रुपए किलो बिकने वाला सेवफल तथा 10 रुपए किलो बिकने वाला अमरूद इस दीपावली पर क्रमश: 80 रुपए व 20 रुपए प्रतिकिलो के दाम पर बिका।

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* फूल हुए महँगे :-
इस दीपावली पर जहाँ हर चीज महँगाई की मार का शिकार रही, वहीं फूलों के दामों पर भी इसका असर दिखाई दिया। दीपावली पर फूलों की बिक्री सर्वाधिक होती है। इस त्योहार पर फूलों का उपयोग घर व प्रतिष्ठानों की सजावट व लक्ष्मीपूजा में किया जाता है।

इस दीपावली पर फूलों के दामों में तीन गुना तक की वृद्धि हुई। आमतौर पर 5 से 15 रुपए तक बिकने वाला हार इस बार 15 से 30 रुपए में बिका। वहीं सदाबहार गेंदे ने भी 40 रुपए प्रतिकिलो के दाम पर बाजार में अपनी जगह बनाई।

* गुणवत्ता से किया समझौता :-
दीपावली पर मिठाइयाँ, फल, पवित्र धातु आदि खरीदना आवश्यक होता है लेकिन इस बार दीपावली और महँगाई दोनों ने एक साथ दस्तक दी। इसके चलते इस बार आम व्यक्तियों ने या तो वस्तु की गुणवत्ता से समझौता किया या फिर वस्तु के आकार से।

निष्कर्ष के रूप में कहें तो इस बार दीपावली आम आदमी का '‍‍दिवाला' निकाल गई। कई लोगों ने इस त्योहार पर अपने परिवार को खुशियाँ देने के लिए कर्ज का सहारा लिया तो कईयों ने एडवांस सेलेरी का। कहने को इस बार दीपावली तो आई पर अधूरी खुशियाँ लाई।

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