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दिवाली पर पटाखे छोड़ें ध्यान से

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- नरेंद्र

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पटाखों के खतरनाक प्रयोगों को रोकना बहुत जरूरी है। यह जितना खतरनाक चलाने वाले के लिए है, उससे कम दूसरों के लिए नहीं है।
मटका बम : 15 वर्षीय श्रेयांस ने मम्मी द्वारा फेंकने के लिए रखे पुराने घड़े एक जगह पर रख लिए। वह सड़क के बीचोंबीच घड़े के नीचे लड़ी या सुतली बम सुलगा कर रख देता।

जब भड़ाम की कर्कश आवाज के साथ मटके के टुकड़े उड़ते और उन टुकड़ों से बचने के लिए लोग इधर-उधर भागते, तो उसे बड़ा मजा आता, इससे कोई घायल भी हो सकता था। पूरी वेग से उड़ी कोई किरिच आँख में धँस जाए, तो आँख फूट सकती थी।

अगरबत्ती बम : अक्सर बच्चे व किशोर अगरबत्ती के बाँस पर बम बाँध अगरबत्ती सुलगा कर पड़ोसी के घर के बाहर रख आते हैं और दम साधकर बम के फटने का इंतजार करते हैं।

ऐसा भी होता है कि उसके फटने के ऐन वक्त पहले पड़ोसी एकाएक बाहर आ जाए और बम फट जाए या उनका पैर उस पर पड़ जाए, तो दुर्घटना होने में कितनी देर लगेगी? खुदा ना खास्ता यदि किसी को आपकी शरारत के कारण अस्पताल जाना पड़े, तो क्या आप त्योहार खुश होकर मना पाएँगे?

जानवर और पटाखे : दिवाली में बच्चे तो बच्चे बड़े भी कुत्ते-बिल्लियों, गाय-बैल के आगे पटाखा सुलगा कर फेंकने की शरारत कर बैठते हैं। जबकि मोटी जंजीर से बँधी गाय व कुत्ते भड़ककर जंजीर तुड़ाने पर आमादा हो जाते हैं। बौखलाया हुआ जानवर भागते हुए सड़क पर चलने वालों को कुचल सकता है, हिंसक हो सकता है।

दिवाली के दौरान गली के जानवरों की दुम में पटाखों की लड़ी बाँधकर उनके उछलने-कूदने का तमाशा बनाने वालों की भी कमी नहीं है। वे यह नहीं सोचते कि परेशान जानवर किसी को भी काट सकता है।

रॉकेट छुड़ाने का गलत तरीका : रॉकेट दागने का सही तरीका काँच की भारी बोतल में रॉकेट को सीधा रखकर जलाना होता है, पर कई बार शरारत में युवक व किशोर उसे सड़क पर लेटी अवस्था में रखकर आग लगा देते हैं।

यदि यह जलता हुआ रॉकेट सामने से आते लोगों, कार या मोटरसाइकल में घुस जाए, तो बड़ा हादसा हो सकता है, राकेट के बिजली के पोल, अस्पताल की खिड़कियों में लगने के बाद बड़ी दुर्घटना में तब्दील होने के मामले भी हैं। इसी तरह हाथ में लेकर राकेट छुड़ाना भी महँगा पड़ सकता है।

हाथ में रखकर अनार जलाना : बच्चे अक्सर हाथ में अनार लेकर छुड़ाने का दुस्साहस करते हैं। यह काफी खतरनाक है। कई बार अनार हाथ में ही फूट जाते हैं। ऐसे में जिंदगी के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

पटाखों को गलत ढंग से दागने पर यदि मोहल्ले में आग लग जाए या कोई पड़ोसी घायल हो जाए, तो आपके लिए यह जिंदगीभर की ग्लानि बन जाएगी। खुद तो इस तरह पटाखों को छुड़ाइए ही मत, दूसरों को भी मत छुड़ाने दीजिए।

इसके लिए बच्चों को सही मार्गदर्शन देने के अलावा मोहल्ले में भी जिस तरह सामुदायिक केंद्र में दिवाली मिलन की परंपरा काफी दिनों से कायम है, उसी तरह पटाखे बड़ों की देखरेख में वहीं छुड़ाए जाने पर भी दुर्घटनाएँ कम हो सकती हैं। बच्चों को पटाखे दें, तो खुद भी साथ रहें। दिवाली आनंद दिवस है, इसे शोक दिवस बनाने से बचाएँ।

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