कई बार लोग अपनी व सामने वाले की उम्र, रिश्ता एवं वरिष्ठता के बारे में सोचे बगैर चाहे जो बोल देते हैं तथा मौका आने पर उसे मजाक कह देते हैं
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अगर आपका मजाक उनके अहं को चोट पहुँचाएगा तो निश्चित रूप से आपके संबंधों की धज्जियाँ तो उड़ेंगी ही, अन्य लोग भी आपसे बातें करनेमें कतराने लगेंगे।
स्वभाव एवं स्थान का ध्यान रखा गया हो
हर व्यक्ति अपने आपमें अद्वितीय है व हरेक का अपना स्वभाव होता है। मजाक करते समय जिसके प्रति मजाक किया जा रहा है, वह इसे किस रूप में लेगा यह अंदाजा लगा लें। इसी प्रकार मजाक में स्थान का ध्यान भी रखना बहुत जरूरी है। उदाहरण के तौर पर यदि आप अपने किसी बचपन केदोस्त से मिलने उसके दफ्तर गए हुए हैं, जहाँ वह अपने मातहतों से घिरा बैठा है तो वहाँ उसके कार्यालय का ध्यान रखते हुए ही बात करना उचित है। घर वाली स्टाइल में धौल-घप्पा या मजाक करना शायद उसे या अन्य लोगों को अच्छा न लगे।
उचित समय का ध्यान रखें
सोचिए किसी के उठावने या मातमपुर्सी में आए लोगों में से कोई ठहाके लगाना या मजाक करना शुरू कर दे तो अन्य लोगों को कैसा लगेगा। मजाक में हमेशा स्थान का ध्यान रखा जाना जरूरी है। गलत समय पर सही की गई बात भी अपना असर बदल देती है एवं वह दुःखपूर्ण परिणामों की कारक भी हो सकती है।
अशालीनता से बचें
मजाक में भद्दे व अशालीन शब्दों का प्रयोग न हो। आपके शब्दों से आपके स्तर का तो पता चलता ही है, यह विवाद को भी जन्म दे सकता है। हमेशा सौम्यता एवं शिष्टता का ध्यान रखते हुए अपनी बात कहें। भद्रता की सीमा न तोड़ें। हो सकता है, आपका मजाक वे लोग भी सुन रहे हों, जिनकी उपस्थिति से आप बेखबर हैं।