हमारे देश में आज भी विवाह को एक अनिवार्य संस्कार के रूप में माना जाता है तथा सात फेरों के सातों वचनों को सात जन्मों का बंधनसूत्र मानकर तवज्जो दी जाती है। आज भले ही नए दौर का सूत्रपात हो चुका है और पुरानी मान्यताएँ धीरे-धीरे अपना रूप बदलती जा रही हैं परंतु विधि-विधान से विवाह पद्धति अब तक प्रचलित है।
लिव इन रिलेशनशिप और प्रेम विवाह के इस संक्रमणकारी दौर में भी हमारे समाज में विवाह रूपी संस्था आज भी अपने अस्तित्व को काबिज रखे हुए है, जिसके पीछे प्रमुख कारण हमारे संस्कारों का ठोस आधार है, जो हमें इस बंधन को ताउम्र निभाने की ऊर्जा देता है। हम वो नहीं हैं, जो वादा करके मुकर जाए, हम तो संस्कारी भारतीय हैं, जो रिश्तों को निभाना बखूबी जानते हैं।
भारतीय भले ही विदेशों में बस जाएँ परंतु विवाह संबंध तो वे अपने देश के लोगों से ही जोड़ना चाहते हैं। यहाँ की माटी व संस्कृति की छाप से वे अलग नहीं होना चाहते। केवल भारतीय ही नहीं बल्कि अधिकांश कुँवारे विदेशी लड़कों की प्राथमिकता भी भारतीय लड़की से ही विवाह करने की होती है। इंटरनेट पर जिस तरह अनगिनत मैट्रीमोनी साइटों की भरमार है, उसी तरह उनमें विवाह हेतु भारतीय लड़की को पसंद करने वाले विदेशी लड़कों की भी भरमार है। विदेशियों का जीवनसंगिनी के तौर पर भारतीय लड़की को चुनना हमारे संस्कारों के अब तक जीवित रहने का प्रमाण है।
मंत्रोच्चार व विशेष विधि विधान के साथ संपन्न कराए गए विवाह का महत्व ही अलग होता है और ऐसे विवाह केवल हमारे देश की ही विशेषता है। तभी तो विदेशी जोड़े भी भारत में भारतीय रीति-रिवाज से विवाह रचाने के लिए लालायित रहते हैं। प्रतिवर्ष भारत के कई पर्यटनस्थलों जैसे खजुराहो, उज्जैन, आगरा, शिर्डी आदि स्थानों पर विदेशी जोड़े परिणय सूत्र में बँधते हैं।
कोर्ट मैरिज, लव मैरिज आदि की आँधी के चलते आज भी हमारे देश में मंत्रोच्चार विधि से विवाह कराने की प्रथा बदस्तूर कायम है, जो हमारी फलती-फूलती भारतीय संस्कृति की परिचायक है। हम भारतीय विवाह के बंधन में बँधकर उसे निभाना जानते हैं, तभी तो आज भी विदेशी बाबू भी देसी दुल्हनिया के ख्वाब देखते हैं।